मां एक ऐसा शब्द है जिसके मायने लिखने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे. दुनिया भर में मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. मां पर ना जाने कितनी ही रचनाएं लिखी गई हैं. मां पर मुनव्वर राणा द्वारा लिखे गए शेरों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने शायरी कोठे से घसीट कर मां तक ला दी. उन्होंने एक शेर में मां की खूबी का बयान किया है. इस खास मौके पर हम आपको शायर मुनव्वर राणा का एक शेर सुना रहे हैं, जो पूरी तरह इस मौके पर सटीक बैठता है.
''मामूली एक कलम को कहाँ तक घसीट लाए
हम इस ग़ज़ल को कोठे से माँ तक घसीट लाए''
मुनव्वर राणा साहब ने मां के ऊपर कई शेर लिखे हैं जिनको पढ़कर आप अपनी मां को याद किए बिना नहीं रह पाएंगे. इन शेरों को पढ़कर आप अपनी मां को याद कर भावुक हो जाएंगे.
ऐसे तो उससे मोहब्बत में कमी होती है,
माँ का एक दिन नहीं होता है सदी होती है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
वैसे दुनिया में मां और बच्चे का रिश्ता सबसे पवित्र होता है. मां अपने बच्चे से निस्वार्थ प्रेम करती है. मां अपने बच्चे की दुख तकलीफों को खुशी-खुशी सह लेती है और अपने बच्चे पर कोई आंच नहीं आने देती. आप भले ही अपनी मां से कितनी भी दूर क्यों ना हो. लेकिन वह हर पल आपके बारे में ही सोचती है. आपकी तकलीफ का उसे पता चल जाता है. मां अपने बच्चे को हर मुसीबत से निकालने की ताकत रखती है. इसी वजह से मां को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है.