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18 में निकाह, तीन तलाक के बाद झेला हलाला का दर्द…कुछ इस तरह तबाह हुई ट्रेजडी क्वीन Meena Kumari की जिंदगी

Meena Kumari: ट्रेजेडी क्वीन कही जाने वालीं मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त को हुआ था। बहुत कम लोगों को पता होगा मीना कुमारी का असली नाम महजबीन बानो है। उन्होंने बचपन से काम करना शुरू कर दिया था। अपने बॉलीवुड के 33 साल लंबे करियर में उन्होंने करीब 90 फिल्में कीं। एक्ट्रेस होने के साथ-साथ वह बेहतरीन कविता भी लिखती थीं। मीना कुमारी केवल 38 साल की थीं जब उनका निधन हो गया। जिंदगी के आखिरी सालों में उन्हें शराब की भयानक लत लग गई थी और इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। सिनेमा ने उन्हें बेताहाशा लोकप्रिता दिलाई लेकिन निजी जिंदगी में एक खालीपन हमेशा रहा। इस रिपोर्ट में उनकी लव लाइफ के बारे में बताते हैं।

शादीशुदा कमाल अमरोही के प्यार में पड़ीं मीना

अभिनेता अशोक कुमार ने मीना कुमारी को निर्देशक कमाल अमरोही से मिलवाया था। बाद में कमाल अमरोही ने अपनी एक फिल्म में उन्हें रोल ऑफर किया। यह फिल्म शुरू हो पाती उससे पहले 21 मई 1951 को मीना कुमारी का एक एक्सीडेंट हो गया। वह काफी समय तक हॉस्पिटल में एडमिट रहीं। इस वजह से वह डिप्रेशन में चली गई। कमाल अमरोही अक्सर हॉस्पिटल जाते और एक्ट्रेस का हाल-चाल पूछते। धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। जब भी दोनों नहीं मिल पाते थे तब चिट्ठियों के जरिए बात करते थे।

जिसने रखा हॉस्पिटल में ख्याल, उसी से हो गया प्यार

मीना कुमारी को 4 महीने तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा और उस समय कमाल ही उनका ध्यान रखे रहे थे। उन्होंने जिस तरह मीना कुमारी की देखभाल की, ससे मीना कुमारी के दिल में उनके लिए प्यार बढ़ने लगा। गौरतलब है कि कमाल पहले से शादीशुदा थे और उनके 3 बच्चे भी थे। मीना कुमारी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुईं तो कमाल ने उन्हे फिल्म 'अनारकली' के लिए साइन किया, लेकिन यह फिल्म शुरू नहीं हो पाई। निर्माता को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा और यह फिल्म बंद हो गई।

कमाल अमरोही पर लगा था मीना कुमारी को मारने का आरोप

मीना कुमारी और कमाल अमरोही एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। आखिरकार 14 फरवरी 1952 को उन्होंने गुपचुप तरीके से शादी कर ली। उस वक्त मीना कुमारी की उम्र केवल 18 साल थी जबकि कमाल अमरोरी 34 के थे। शादी से पहले मीना कुमारी ने जिस तरह के सपने संजोए थे शादी के बाद वह टूटने लगे। वह आजाद ख्यालों वाली महिला थीं। कमाल उन पर सख्त निगरानी रखने लगे।

मीना कुमारी से वह 6.30 बजे तक घर आने के लिए कहते थे और उनके मेकअप रूम में किसी को जाने की अनुमति नहीं होती थी। वह केवल उसी कार से जा सकती थीं जो कमाल ने दी थी। कहा तो यह भी जाता है कि कमाल अमरोही ने साथ घरेलू हिंसा की और कई बार मीना कुमारी पर हाथ भी उठाया। इसका जिक्र मीना कुमारी की करीबी दोस्त नरगिस ने एक इंटरव्यू में भी किया था जब उन्होंने मीना कुमारी के कमरे से मारपीट जैसी आवाजें सुनीं। मीना कुमारी की बायोग्राफी लिखने वाले विनोद महेता ने कहा कि कमाल अमरोही ने हमेशा मारपीट के आरोपों से इनकार किया लेकिन 6 अलग-अलग लोगों ने उन्हें बताया कि उनके रिश्ते में शारीरिक हिंसा होती थी।

जिंदगी से दुखी होकर लगी शराब की लत

शादीशुदा जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव ने मीना कुमारी को डिप्रेशन में ला दिया। 1964 में उन्होंने कमाल अमरोही को तलाक दे दिया। एक डॉक्टर ने उन्हें नींद के लिए बीच-बीच में थोड़ी सी ब्रांडी लेने की सलाह दी थी। यह उनके लिए एक लत बन गया और बहुत ज्यादा शराब पीना शुरू कर दिया। इससे उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। उन्हें लंदन और स्विटजरलैंड के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर्स ने उन्हें ठीक होने के बाद ही काम की सलाह दी लेकिन जैसे ही वह भारत लौटीं फिर से फिल्में करनी शुरू कर दीं। डॉक्टरों ने उन्हें बता दिया था कि अगर उन्होंने फिर से पीना शुरू किया तो यह उनकी मौत का कारण बन सकता है। आखिरकार 1972 में उनका निधन हो गया।

Meena Kumari : एक्ट्रेस ही नहीं शानदार शायरा भी थीं ट्रेजडी क्वीन, पढ़िए उनके चुनिंदा शेर और गजलें

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Meena Kumari: हिन्दी सिनेमा की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार मीना कुमारी की 1 अगस्त को जयंती है। मीना कुमारी ने बचपन में ही फिल्मों में कदम रखा और फिर लीड एक्ट्रेस के तौर पर भी शानदार पहचान बनाई। उनकी फिल्मों की खूब बात होती है, जिसमें उनकी एक दूसरी पहचान छुप जाती है। वो है एक शायरा के तौर पर किया गया उनका काम। मीना कुमारी नाज के नाम से जो शायरी उन्होंने की है, वो 50 और 60 के दशक के नामचीन शायर-शायराओं के साथ उनको खड़ा करती है।

मीना कुमारी की कही नज्मों, गजलों को गुलजार ने संकलित किया है। जो 'तन्हा चाँद' नाम से पब्लिश हुआ है। मीना कुमारी की शायरी में कितनी जान है, इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि गुलजार जैसे गीतकार ने उनकी रचनाओं को संकलित किया। मीना कुमारी के कुछ शेर और गजलें हम आपके सामने पेश कर रहे हैं, 

आप खुद उनकी शायरी को पढ़िए।

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।

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उदासियों ने मिरी आत्मा को घेरा है
रूपहली चाँदनी है और घुप अंधेरा है

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है

उफ़ुक़ के पार जो देखी है रौशनी तुम ने
वो रौशनी है ख़ुदा जाने या अंधेरा है

ख़ुदा के वास्ते ग़म को भी तुम न बहलाओ
इसे तो रहने दो मेरा यही तो मेरा है।

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जब चाहा इकरार किया, जब चाहा इंकार किया
देखो हमने खुद ही से कैसा अनोखा प्यार किया

दर्द तो होता रहता है, दर्द के दिन ही प्यारे है
जैसे तेज छुरी को हमने रह-रहकर फिर धार किया

रोते दिल हँसते चेहरों को कोई भी न देख सका
आंसू पी लेने का वादा, हां सबने हर बार किया

शीशे टूटे या दिल टूटे खुश्क लबो पर मौत लिए
जो कोई भी कर न सका वह हमने आख़िरकार किया

"नाज़" तेरे जख्मी हाथो ने जो भी किया अच्छा ही किया
तुने सब की मांग सजी, हर इक का सिंगार किया।

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अयादत होती जाती है,इबादत होती जाती है
मेरे मरने की देखो सबको आदत होती जाती है

तेरे क़दमों की आहट को है दिल यह ढूंढ़ता हरदम
हर इक आवाज़ पे इक थरथराहट होती जाती है।


मीना कुमारी के कुछ शेर-

पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है
रात खैरात की सदके की सहर होती है।

आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता

हंसी थमी है इन आंखों में यूं नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह।

बैठे रहे हैं रास्ता में दिल का खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुज़रे

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बॉलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री ही नहीं, बेहतरीन शायरा भी थी मीना कुमारी

बहुत कम लोग जानते है कि गुजरे जमाने की हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी अभिनय के साथ एक शायराना मिजाज भी रखती थी। हिंदी सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन का खिताब पाने वाली अभिनेत्री मीना कुमारी असल जिंदगी में भी हमेशा ग़मों और तकलीफों से घिरी हुई रही।


सिनेमा के पर्दे पर जिस तरह से दुःख भरे किरदारों को दर्शकों के सामने पेश किया है, तो वहीँ अपनी निजी जिंदगी के दर्द का इजहार करने के लिए मीना कुमारी ने शायरी का सहारा लिया।


मीना कुमारी ने अपनी शायरी में जिंदगी की तन्हाईयों को बखूबी बयां किया है। उनकी मौत के बाद उनकी कुछ शायरी 'नाज' के नाम से छपी थी। मीना कुमारी की शायरी को गुलजार साहब ने 'तन्हा चांद' के नाम से संकलित किया है।

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बेहतरीन उर्दू शायरी का फ़न रखने वाली मीना कुमारी के बारे में मशहूर संगीतकार नौशाद ने कहा था कि ' जाहिरी तौर पर उनकी शायरी में नाराज़गी नज़र आती है।'


१ अगस्त १९३२ को मुंबई में पैदा हुई मीना कुमारी ने चार साल की उम्र से ही परिवार की आर्थिक मदद के लिए एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। जिसकी वजह से ठीक से पढ़ भी नहीं पायी।

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आगे चलकर फिल्मों में शोहरत तो हासिल हुई, परिवार की तंगी दूर हुई मगर, वो खुद जिंदगीभर दुखों की गिरफ्त से निकल नहीं पायी। अपनी जिंदगी में वह जितनी कांटों और दर्द भरी राहों से गुजरीं उसे ही उन्होंने शायरी में ढाल दिया।

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दुखों के साथ मीना कुमारी को 'इंसोम्निया' नामक बीमारी ने जकड लिया, जिससे उन्हें रातों को नींद नहीं आती थी। जिसकी वजह से वो नींद की गोलियां खाने लगी। उस समय डॉक्टर सईद तिमुरजा ने उन्हें नींद की गोलियों के बदले ब्रांडी पीने की सलाह दे दी।

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इस दवा को जहर बनते देर ना लगी और देखते-देखते मीना कुमारी ने शराब पीना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्हें साल १९६८ में लीवर की बीमारी ने जकड़ लिया।

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तमाम उम्र दुश्वारियों से पीछा छुड़ाने की नाकाम कोशिशों में लगी रही मीना कुमारी को आख़िरी समय में बीमारी ने घेर लिया। लीवर की बीमारी से लड़ते-लड़ते ३१ मार्च १९७२ को महज ३८ साल की उम्र में वो इस दुनिया को छोड़कर चली गयी।

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अगर आपको अभिनेत्री मीना कुमारी की शायरियां पसंद आयी हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइयेगा और इसे लाइक - शेयर करना बिलकुल मत भूलियेगा।

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कमाल अमरोही की बीवी बनने के लिए जीनत अमान की मां बनी थीं मीनाकुमारी, जाने कुछ अनसुने किस्से

मीना कुमारी जीवन भर अपने सच्चे प्यार के लिए तरसती रहीं. पैदा होते ही उनके पिता से उनको प्यार नहीं मिला. उन्हें अपने प्यार में बेवफाई मिली और पति ने भी उनको प्यार नहीं दिया. मीना कुमारी के पिता बेटा चाहते थे. लेकिन उनके घर मीना कुमारी का जन्म हुआ तो उनके पिता उन्हें अनाथालय तक छोड़ आए थे. हालांकि मीना कुमारी की मां का बुरा हाल हो गया जिसके बाद उनके पिता उन्हें घर वापस ले आए.

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मीना कुमारी ने बचपन से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. मीना कुमारी का असली नाम महजबीं था. मीना कुमारी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें सफेद रंग बेहद पसंद था. वह हर कार्यक्रम में सफेद रंग के कपड़े पहन कर ही जाती थी. लेकिन उन्हें पार्टियों में जाना पसंद नहीं था.

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मीना कुमारी फिल्मों में हमेशा अपना बायां हाथ छुपाकर रखती थी क्योंकि उनके बाएं हाथ की छोटी उंगली किसी वजह से कट गई थी. मीना कुमारी फिल्म तमाशा में काम कर रही थी. इस दौरान उन्हें मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही से प्यार हो गया. दोनों ने निकाह भी कर लिया. यह कमाल अमरोही की तीसरी शादी थी.

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हालांकि 12 साल के भीतर दोनों के बीच दरार आ गई और दोनों के झगड़े होने लगे. इस वजह से मीना कुमारी और कमाल अमरोही का तलाक हो गया. मीना को तलाक के बाद अपनी गलती का एहसास हुआ और मीना दोबारा से उनसे शादी करना चाहती थी. कुछ समय बाद मीना कुमारी और कमाल अमरोही फिर एक हो गए.

जन्म के समय मीना कुमारी को अनाथालय छोड़ आए थे पिता

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मीना कुमारी को बॉलीवुड में ट्रेजेडी क्वीन के नाम से जाना जाता है. मीना कुमारी का जब जन्म हुआ था उनके पिता बहुत दुखी हुए थे. उनके पिता बेटे का मुंह देखना चाहते थे. लेकिन तभी पता चला कि बेटी हुई है तो वह अपना माथा पकड़ कर बैठ गए. मीना कुमारी को उनके पिता अनाथालय छोड़ आए. लेकिन मीना की मां का बुरा हाल हो गया तो इस वजह से उनके पिता उन्हें घर वापस ले आए.

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मीना कुमारी की मां ने उनका नाम महजबीं रखा था. लेकिन उनकी पहचान मीना कुमारी के नाम से बनी. मीना कुमारी ने महज 6 साल की उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. मीना कुमारी और कमाल अमरोही की मुलाकात फिल्म तमाशा के सेट पर हुई थी.

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दोनों इस दौरान एक दूसरे से प्यार करने लगे और दोनों ने निकाह कर लिया. लेकिन फिर 1964 में दोनों के बीच दरार आ गई और दोनों अलग रहने लगे. मीना कुमारी ने लगभग तीन दशक तक फिल्मों में काम किया और अपने बेहतरीन अभिनय और खूबसूरती के दम पर लोगों के दिलों पर राज किया.

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वह हिंदी सिनेमा की महान अभिनेत्री रहीं. मीना कुमारी का 31 मार्च 1972 को निधन हो गया और वह हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ कर चली गई. हालांकि मीना कुमारी को आज भी लोग याद करते हैं.

60 के दशक की मशहूर अभिनेत्रियों नरगिस और मीना कुमारी के बीच क्यों आ गईं दूरियां, फोटोशूट से भी कर दिया था इंकार

मीना कुमारी और नरगिस पचास और साठ के दशक की मशहूर अदाकारा रहीं जिनका लोगों के दिलों पर राज चलता था. लेकिन ऐसा बताया जाता है कि इन दोनों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी, जिस वजह से दोनों एक दूसरे से नफरत करती थीं. इन दोनों ने एक साथ फोटोशूट कराने से भी इनकार कर दिया था, जिसकी वजह राज कपूर थे.

मीना कुमारी

दरअसल 1957 फिल्म फेयर अवार्ड की घोषणा होनी थी और दोनों को इंतजार था कि किसे अवार्ड मिलेगा. उसी साल नर्गिस की मदद इंडिया और मीना कुमारी की शारदा रिलीज हुई थी. दोनों ही अभिनेत्रियों का मुकाबला फिल्मफेयर में बेस्ट एक्ट्रेस के लिए होना था.

मीना कुमारी

इसी वजह से फिल्म फेयर मैगजीन ने सोचा कि क्यों ना इन दोनों को एक साथ में रखते हुए फोटोशूट करवाया जाए. लेकिन दोनों ही अभिनेत्रियों ने साफ इंकार कर दिया. राज कपूर और नरगिस के अफेयर के चर्चे काफी सुर्खियों में थे.

मीना कुमारी

लेकिन नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली थी. नरगिस नहीं चाहती थी कि वह राज कपूर की फिल्म की हीरोइन यानी मीना कुमारी के साथ फोटोशूट करवाएं, जिस वजह से लोगों को बातें बनाने का मौका मिल गया था. हालांकि बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड नरगिस को मिला.

शानो-शौकत से जीवन जीने वाली अभिनेत्रियों की हुई दर्दनाक मौत, कोई भीख मांगने को हुई मजबूर तो किसी का रिक्शे मे रखा शव

बॉलीवुड में सफलता पाने के बाद लोगों की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. यह सितारे शानो-शौकत से जिंदगी जीते हैं. लेकिन कई बार इन सितारों की जिंदगी में ऐसा दौर आता है जब यह बुरी तरह से कंगाल हो जाते हैं. कई ऐसे सितारे रहे जिन्होंने अपनी जिंदगी शानो-शौकत से जी. लेकिन अंतिम दिनों में उनकी हालत बद से बदतर हो गई.

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70 और 80 के दशक की मशहूर अभिनेत्री परवीन बॉबी एक समय अपनी खूबसूरती से सब के दिलों पर राज करती थी. लेकिन अंतिम समय में वह मानसिक बीमारी का शिकार थी. उनकी मौत के दो दिन बाद उनके शव को घर से बाहर निकाला गया था.

 मीना कुमारी

मीना कुमारी की खूबसूरती का हर कोई दीवाना हुआ करता था. लेकिन मीना कुमारी अंतिम दिनों में आर्थिक तंगी का शिकार हो गई थी. उनकी मौत के समय हॉस्पिटल में पेमेंट जमा करने के पैसे भी नहीं थे.

दिव्या भारती

मशहूर एक्ट्रेस दिव्या भारती ने बहुत कम उम्र में ही बहुत ज्यादा लोकप्रियता हासिल कर ली थी. दिव्या भारती की अचानक से मौत की खबर से सब हैरान रह गए थे. आज तक उनकी मौत से पर्दा नहीं उठा.

गीतांजलि नागपाल

मशहूर मॉडल गीतांजलि नागपाल की मौत बहुत ही दर्दनाक रही. गीतांजलि को दिल्ली में भीड़भाड़ वाले इलाके में भीख मांगते हुए भी देखा गया था.

विम्मी

विम्मी की मौत के समय उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. उनको शमशान तक रिक्शे से पहुंचाया गया था. उन्हें कंधा देने के लिए 4 लोग भी नहीं थे.