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हिन्दू नाम रखकर बॉलीवुड के सुपरस्टार बने थे यह 5 मुस्लिम सितारे, नंबर 1 था सबका फेवरेट


एक दौर ऐसा भी था जब कलाकरों को लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए अपने नाम बदलने पड़ते थे, बहुतों ने अपने नाम इसलिए बदले की उनके नामों से मिलते-जुलते सितारे पहले से इंडस्ट्री में मौजूद थे। कई हिन्दू सितारे ऐसे थे, जिन्होंने अपना दूसरा हिन्दू नाम रखा, तो कई ऐसे मुस्लिम सितारे भी थे, जिन्होंने हिन्दू नाम रखने के बाद प्रसिद्धी हासिल की। आइये आज हम आपको 5 ऐसे ही सितारो मे बारे मे बताते हैं।



1:- दिलीप कुमार

दिलीप कुमार बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है। उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) में हुआ था। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहाँ उन्होने हिन्दी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया, ताकि उन्हे हिन्दी फ़िल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिले।


2:- संजय खान



अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले एक्टर, डारेक्टर और प्रोड्यूसर संजय खान ने अपने फिल्मी कॅरियर में कई हिट फिल्में दी है। उन्होंने इंडस्ट्री में ​साल 1964 में फिल्म 'हकीकत' से डेब्यू किया था। अपने फिल्मी करियर में संजय ने करीब 30 फिल्मों में काम किया। संजय असली नाम शाह अब्बास है, अपने बॉलीवुड कैरियर की शुरुआत में ही संजय खान ने अपना नाम शाह अब्बास से बदलकर संजय रख लिया था।


3:- जगदीप

जगदीप मशहूर कॉमेडी एक्टर रहे हैं। फिल्म 'शोले' और 'अंदाज अपना-अपना' में उनकी भूमिका कोई नहीं भूल सकता। हास्य कलाकार जगदीप असल में इस्लाम धर्म के अनुयायी है। इनका असली नाम इस्तियाक अहमद जाफरी है।


4:- निम्मी

1950 से 1960 के दशक में हिन्दी सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री निम्मी ने पूरी इंडस्ट्री को अपनी खूबसूरती का कायल बनाया हुआ था। उस जमाने में उनकी खूबसूरती का जादू फिल्ममेकर्स के सिर चढ़कर बोलता था। निम्मी ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से 50 और 60 के दशक में फीमेल एक्टर्स को शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाली विचार धारा को बदल दिया था। निम्मी 50 के दशक की सबसे बेहतरीन अभिनेत्री थी। 16 साल की उम्र में डेब्यू करने वाली निम्मी का असली नाम नवाब बानो था।


5:- रीना रॉय

हिंदी फिल्मों में सालों तक राज करने वालीं अभिनेत्री रीना रॉय बॉलीवुड की ऐसी अदाकारा है, जिन्होंने मुख्य भूमिका से लेकर मां तक के सभी किरदारों को बड़ी स्क्रीन पर बखूबी निखाया। उनका नाम अपने समय में हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस की लिस्ट में भी शुमार रहा है। रीना रॉय का जन्म 7 जनवरी, 1957 को में मुंबई में हुआ था। कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाली रीना की लाइफ ट्रेजिडी से भरी रही। रीना का असली नाम सायरा अली है। उनके पिता का नाम शाकिब अली है।

सायरा बानो ने दिलीप कुमार की तबीयत को लेकर दी बड़ी जानकारी, इस वजह से पहुंचे थे अस्पताल

हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार के बीमार होने की खबरें अक्सर आती रहती है. उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल ले जाया गया. अब इस बारे में उनकी पत्नी और अभिनेत्री सायरा बानो ने नई अपडेट दी है. सायरा बानो ने सोशल मीडिया पर दिलीप कुमार की तबीयत के बारे में बताया और यह भी बताया कि आखिर उन्हें अस्पताल क्यों ले जाया गया था.

saira banu dilip kumar

सायरा बानो ने ट्विटर पर एक ऑडियो जारी किया जिसमें उन्होंने बताया कि दिलीप कुमार को कमर में दिक्कत हो रही थी, जिस वजह से उन्हें अस्पताल में चेकअप के लिए ले जाया गया. अब वह ठीक है. सायरा बानो ने कहा- सभी को हेलो, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिलीप साहब अब पहले से ज्यादा बेहतर हैं.

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उनके पीठ में बहुत दर्द हो रहा था जिसकी वजह से हम उन्हें अस्पताल लेकर गए जहां उनका चेकअप करवाया गया. सब कुछ ठीक है. अल्लाह का शुक्र है. आप सब की दुआ और आपके प्यार से. हम आपके और भगवान के आभारी हैं शुक्रिया.

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बता दें कि दिलीप कुमार ने बीते साल 11 दिसंबर को अपना 97 वां जन्मदिन मनाया था. उन्हें इस खास मौके पर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन ने सम्मानित किया. उन्हें गोल्डन एरा ऑफ बॉलीवुड ऑनर का सम्मान प्रदान किया गया.

सायरा बानो से छुपकर दिलीप कुमार ने रचाई थी इस लड़की से दूसरी शादी


बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार ने फिल्मों में दुख भरे सीन से लोगों का दिल छू लिया. इसी वजह से उनका नाम ट्रेजेडी किंग पड़ गया. लेकिन उनकी जिंदगी भी काफी मुश्किलों से भरी रही. दिलीप कुमार का पूरा परिवार 1930 में पेशावर छोड़कर मुंबई आ गया. दिलीप कुमार का नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. वह किसी वजह से अपने पिता से नाराज हो गए और उन्होंने 18 साल की उम्र में घर छोड़ने का निर्णय कर लिया और वह पुणे के लिए निकल गए. इसके बाद उन्होंने इरानी कैफे के मालिक की मदद से कैंटीन का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया. उन्होंने एक सैंडविच स्टोर खोला. इसके बाद वह मुंबई वापस आए.

सायरा बानो दिलीप कुमार

दिलीप कुमार की निजी जिंदगी किसी ट्रेजेडी से कम नहीं है. दिलीप कुमार को सबसे पहले कामिनी कौशल से प्यार हुआ. दोनों शादी भी करना चाहते थे. लेकिन किसी वजह से इनकी शादी नहीं हो पाई. इसके बाद दिलीप कुमार और मधुबाला ने एक फिल्म में साथ काम किया और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे.

दिलीप कुमार

दिलीप कुमार और मधुबाला ने सगाई भी की थी. लेकिन दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता मधुबाला के पिता को पसंद नहीं था. इस वजह से यह दोनों भी एक नहीं हो पाए. दिलीप कुमार वैजयंती माला से शादी करना चाहते थे. हालांकि इन दोनों की भी शादी नहीं हो सकी. इसके बाद दिलीप कुमार और सायरा बानो एक दूसरे के प्यार में पड़ गए और दोनों ने शादी कर ली. सायरा बानो और दिलीप कुमार ने एक दूसरे का हमेशा साथ दिया. लेकिन सायरा बानो कभी मां नहीं बन पाई.

सायरा बानो दिलीप कुमार

1972 में सायरा बानो पहली बार प्रेग्नेंट हुई. लेकिन उनका मिसकैरेज हो गया जिसके बाद वह कभी मां नहीं बन सकती. हालांकि इस वजह से दिलीप कुमार ने आसमा रहमान नामक एक लड़की से शादी की, ताकि उन्हें संतान का सुख मिल सके. लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चल पाई. दिलीप कुमार ने उसे तलाक दे दिया. जब सायरा बानो को इस शादी का पता चला था तो उन्होंने दिलीप कुमार से तलाक मांगा था.

22 साल बड़े दिलीप कुमार के बच्चे की मां बनने वाली थीं सायरा बानो, लेकिन नहीं दे पाई बच्चे को जन्म, ऐसी थी प्रेम कहानी

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सायरा बानो और दिलीप कुमार की प्रेम कहानी बहुत ही रोमांटिक है. सायरा बानो और दिलीप कुमार की जोड़ी बॉलीवुड की सदाबहार जोड़ियों में से एक है. इस जोड़ी को बड़े पर्दे पर बहुत पसंद किया गया. हर लड़की दिलीप कुमार की दीवानी हुआ करती थी. इसी बीच दिलीप कुमार ने बताया कि वह सायरा बानो से प्यार करते हैं.
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सायरा बानो दिलीप कुमार से उम्र में 22 साल छोटी थी. जब सायरा 12 साल की थी तभी से वह दिलीप कुमार को चाहने लगी थी. 1966 में दोनों ने किसी को बिना बताए शादी कर ली. दिलीप कुमार सायरा से उम्र में बहुत बड़े थे. उन्होंने एक बार सायरा से कहा भी था कि मेरे सफेद होते बालों को तो देखो. लेकिन फिर भी सायरा ने दिलीप कुमार से ही शादी की.
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सायरा बानो ने हर मुश्किल में दिलीप कुमार का साथ दिया. दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में बताया कि सायरा बानो जब पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी तो 8 महीने की प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या हुई. ऐसे में सर्जरी करना संभव नहीं था और दम घुटने की वजह से बच्चा मर गया.
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जब यह घटना हुई तो दोनों बुरी तरह से टूट गए. इसके बाद सायरा कभी मां नहीं बन पाई. हालांकि फिर भी दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ रहे. सायरा बानो और दिलीप कुमार का रिश्ता बहुत ही मजबूत रहा. दिलीप साहब अल्जाइमर से पीड़ित हैं और सायरा उनका बहुत ध्यान रखती हैं. दोनों हर जगह एक साथ जाते हैं और एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े दिखते हैं.
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असली मोतियों के लिए के. आसिफ ने रुकवा दी थी मुग़ल-ए-आज़म की शूटिंग, जाने पूरा किस्सा


फिल्म मुग़ल-ए-आज़म को बनाने में निर्देशक के. आसिफ ने बहुत मेहनत की. इस फिल्म ने उस दौर में जो कुछ हासिल किया, वह बहुत ही असाधारण था. के. आसिफ मुंबई में दर्जी बनने आए थे. लेकिन वह अब्बल दर्जे के निर्देशक बन गए. के. आसिफ नजीर हुसैन के भतीजे थे. जब वह मुंबई आए तो नजीर ने उन्हें फिल्मों में जोड़ने की कोशिश की. लेकिन आसिफ का वहां दिल ना लगा. फिर उनके लिए एक दुकान खुलवाई जो कुछ दिन बाद बंद हो गई.

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के. आसिफ ने दो फिल्मों फूल और मुग़ल-ए-आज़म का ही निर्देशन किया. मुग़ल-ए-आज़म को बनाने में 14 साल लगे. इस फिल्म के गाने पर पानी की तरह पैसे बहाए गए. ऐसा बताया जाता है कि शीश महल का सेट बनने में पूरे 2 साल लग गए थे. फिल्म समीक्षक इकबाल रिजवी ने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया कि फिल्म में एक सीन था जिसमें सलीम को मोतियों पर चलकर महल में दाखिल होना था. इस सीन की शूटिंग के लिए नकली मोती मंगवाए गए .लेकिन के. आसिफ कुछ और ही चाहते थे.

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उन्होंने फिल्म के फाइनेंसर से एक लाख रुपए मांगे. जब उनसे पूछा गया कि पैसे क्यों चाहिए तो के. आसिफ ने बताया कि मैं सीन के लिए असली मोती मंगवाना चाहता हूं. यह बात सुनकर फाइनेंसर शाहपुरजी मिस्त्री बोले- तुम पागल हो गए हो क्या. तुम नकली मोतियों का भी इस्तेमाल कर सकते हो. उससे क्या फर्क पड़ेगा. लेकिन के. आसिफ ने तब कहा कि जब कोई सच्चे मोतियों पर चलेगा तो उसके चेहरे के भाव नकली नहीं लगेंगे. अगर मैं नकली मोतियों का इस्तेमाल करूंगा तो वह नहीं दिखा पाऊंगा, जो दिखाना चाहता हूं.

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लगभग 20 दिन तक इस वजह से फिल्म की शूटिंग रुकी रही. आखिरकार के आसिफ की जिद के सामने शाहपुर जी मिस्त्री को झुकना पड़ा और उन्होंने उन्हें एक लख रुपए दे दिए. पूरी फिल्म की शूटिंग के दौरान के आसिफ और शाहपुर जी मिस्त्री के बीच काफी विवाद हुआ. लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो लोगों ने उसे बहुत पसंद किया. इस फिल्म का नाम हमेशा के लिए सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है. के. आसिफ का 9 मार्च 1971 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया.

सायरा बानो जैसी खूबसूरत पत्नी के बावजूद दिलीप कुमार ने की थी दूसरी शादी, फिर इस तरह हुआ गलती का एहसास

dilip kumar saira banu

सायरा बानो और दिलीप कुमार की प्रेम कहानी बहुत ही दिलचस्प है. सायरा बानो शुरुआत से ही दिलीप कुमार की दीवानी हुआ करती थीं. सायरा बानो का जन्म 1944 में हुआ था. उनका बचपन लंदन में बीता. सायरा बानो 1960 में मुंबई आई. सायरा बानो अपनी मां की तरह ही बॉलीवुड में काफी सफलता हासिल करना चाहती थीं. बता दें कि सायरा बानो की दादी छमियां बाई दिल्ली में तवायफ थी. उन्हें शमशाद बेगम के नाम से भी जाना जाता था.

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सायरा बानो ने फिल्म जंगली से अपने करियर की शुरुआत की. यह फिल्म 1961 में रिलीज हुई. इसके बाद उन्हें फिल्म पड़ोसन से बहुत लोकप्रियता मिली. सायरा बानो देखते ही देखते बॉलीवुड की कामयाब अभिनेत्री बन गईं. सायरा बानो और दिलीप कुमार की जोड़ी बॉलीवुड की सदाबहार जोड़ियों में से एक मानी जाती है. जब सायरा बानो 22 साल की थी तो उन्होंने 44 साल के दिलीप कुमार के साथ शादी की थी.

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सायरा बानो जब 12 साल की थी तभी से वह दिलीप कुमार को पसंद करने लगी थी और उनसे शादी करने के बारे में सोचने लगी. दोनों की शादी को 53 साल हो गए हैं. हालांकि सायरा बानो कभी मां नहीं बन पाई. सायरा बानो 1972 में पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी. उन्हें 8 महीने की प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई. इस दौरान भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था और दम घुटने की वजह से बच्चे की मौत हो गई.

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इसके बाद सायरा बानो कभी प्रेग्नेंट नहीं हुई. दिलीप कुमार ने बच्चे की चाहत में 1980 में एक तलाकशुदा महिला आसमां रहमान से शादी की. हालांकि कुछ समय बाद दिलीप कुमार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने 1983 में आसमां रहमान को तलाक दिया और वह फिर से सायरा बानो के पास आ गए.