मुंबई। फिल्मफेयर पुरस्कार के 68वें संस्करण की प्रेसवार्ता के दौरान बुधवार शाम को सलमान खान ने मीडिया से बात की और खई विषयों पर अपनी राय रखी। सलमान खान ने कहा है कि 'क्लीन कंटेंट' काम करता है, उनका मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप होनी चाहिए। कई बड़े कलाकार फिल्मों और शोज से ओटीटी पर डेब्यू कर चुके हैं, लेकिन सलमान अभी तक ऐसा नहीं कर पाए हैं। सलमान ने ओटीटी मंचों पर सेंसरशिप की वकालत करते हुए कहा कि वेब पर बेहद ‘‘अश्लील और हिंसात्मक’’ सामग्री परोसी जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ओटीटी पर किसी तरह की सेंसरशिप होनी चाहिए क्योंकि इसमें बहुत अधिक नग्नता, अश्लीलता, हिंसा और अभद्र जैसी सामग्री है। इसे रोकना चाहिए क्योंकि आज कल स्मार्टफोन पर यह सब कुछ उपलब्ध है... अगर कोई 15-16 साल का किशोर/किशोरी इस तरह की सामग्री देखता है तो समझ में आ सकता है, लेकिन जब आपकी छोटी बेटी इसे देखती है तो क्या यह अच्छा लगता है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ओटीटी मंचों पर सामग्री की सेंसरशिप होनी चाहिए। जितनी साफ-सुथरी सामग्री होगी, उतना ही बेहतर है। यहां तक कि तब इसे और अधिक देखा जाने लगेगा।’’
फिल्मफेयर पुरस्कार के 68वें संस्करण की प्रेसवार्ता के दौरान बुधवार शाम को सलमान खान ने कहा, ‘‘ये सभी लोग वास्तव में अच्छे, प्रतिभाशाली और मेहनती हैं। लेकिन, हम पांचों - शाहरुख, आमिर, मैं, अक्षय और अजय- इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाले हैं।’’ युवा अभिनेता लंबे-समय में प्रभाव डालेंगे? इस सवाल पर खान ने कहा, ‘‘हम उन्हें थका देंगे।’’ आमिर खान जहां 58 वर्ष के हैं, वहीं सलमान और शाहरुख 57 वर्ष जबकि अक्षय 55 वर्ष अैर अजय 54 वर्ष के हैं.
अभिनेता ने कई हिंदी फिल्मों के बारे में भी बात की, जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं। सलमान अभिनीत फिल्म ‘‘किसी का भाई, किसी की जान’’ की रिलीज का इंतजार किया जा रहा है। सलमान खान ने कहा कि फिल्म निर्माता अपनी सामग्री के बारे में आश्वस्त महसूस करते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर फिल्म, एक अच्छी फिल्म साबित हो। उन्होंने कहा, ‘‘मैं लंबे समय से यह सुन रहा हूं कि हमारी हिंदी फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। यदि आप खराब फिल्में बनाएंगे, तो वे कैसे चलेंगी? हर कोई सोचता है कि वह ‘मुगल-ए-आजम’, ‘शोले’, ‘हम आपके हैं कौन’ और ‘डीडीएलजे’ बना रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है।’’
सलमान ने कहा ‘‘कई निर्देशक समझते हैं कि भारत अंधेरी से कोलाबा ही है। ऐसा नहीं है। हमारे पास बहुत ही अच्छे निर्माता और निर्देशक हैं जो बहुत ही बेहतर फिल्में बना सकते हैं और बनाना चाहते हैं लेकिन वे उस तरह काम नहीं करते।
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