IAF Garud Commando Force: पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगा Garud Commando का दम, जानिए कैसे होती है खतरनाक ट्रेनिंग
IAF Garud Commando Force: गरुड़ कमांडो भारतीय वायुसेना की एक खास मारक फोर्स है। यह बल फरवरी 2004 में बनाया गया था। इनका मुख्य काम हवाई हमला, हवाई यातायात नियंत्रण, करीबी सुरक्षा, खोज और बचाव, आतंकवाद विरोधी अभियान, सीधी कार्रवाई, हवाई क्षेत्रों की सुरक्षा आदि है।
IAF Garud Commando Force
भारत में जितनी भी कमांडो फोर्सेज हैं, उनमें सबसे लंबी ट्रेनिंग उन्हीं की होती है। वे 72 सप्ताह तक प्रशिक्षण लेते हैं। गरुड़ कमांडो रात में हवाई और पानी से हमला करने में माहिर होते हैं। इन्हें हवाई हमले की अलग से ट्रेनिंग दी जाती है। इस समय इस बल में 1780 गरुड़ कमांडो हैं।
इस समय आतंकवाद के खात्मे और सीमा पर दुश्मनों से सीधे मुकाबले के लिए वायुसेना के गरुड़ कमांडो को नई ट्रेनिंग दी जा रही है। एक गरुड़ कमांडो तीन साल की ट्रेनिंग के बाद ही पूरी तरह ऑपरेशनल कमांडो बन जाता है। प्रशिक्षण इतना सख्त होता है कि 30 प्रतिशत प्रशिक्षु पहले 3 महीनों के भीतर प्रशिक्षण छोड़ देते हैं।
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गरुड़ कमांडो दुश्मन के बीच पहुंचते हैं और चारों तरफ से दुश्मन का मुकाबला करते हैं। गरुड़ कमांडो कई तरह के हथियारों में माहिर होते हैं। इनमें एके 47, आधुनिक एके-103, सिगसुर, टेवर असॉल्ट राइफल, आधुनिक नेगेव एलएमजी और गैलिलियन स्नाइपर शामिल हैं जो एक किलोमीटर तक दुश्मन को तबाह कर सकते हैं।
नेगेव एलएमजी से एक बार में 150 राउंड फायर किए जा सकते हैं। टेवर असॉल्ट राइफल जैसे आधुनिक हथियारों के साथ गरुड़ कमांडो नाइट विजन, स्मोक ग्रेनेड, हैंड ग्रेनेड आदि का भी इस्तेमाल करते हैं।
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आतंकियों से लड़ाई के दौरान रूम इंटरवेंशन के ऑपरेशन के दौरान गरुड़ कमांडो घर में घुसकर आतंकियों का सफाया कर देते हैं. शहरी इलाकों में इस तरह के ऑपरेशन के लिए गरुड़ कमांडो हेलिकॉप्टर के जरिए उतरते हैं। उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके लिए उन्हें मिजोरम के काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल (CIJWS) में ट्रेनिंग दी जाती है।
गरुड़ कमांडो को हर तरह से युद्ध के लिए तैयार करने के लिए प्रशिक्षण के अंतिम दौर में उन्हें भारतीय सेना की सक्रिय पैरा कमांडो इकाइयों के साथ प्रत्यक्ष विवरण सिखाया जाता है। आमतौर पर इन्हें वायुसेना के अहम ठिकानों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है। जहां सुरक्षा के लिहाज से जरूरी उपकरण लगाए गए हैं।
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आपको बता दें कि 2001 में जम्मू-कश्मीर में एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद वायुसेना को एक विशेष बल की जरूरत महसूस हुई थी। इसके बाद 2004 में वायुसेना ने अपने एयर बेस की सुरक्षा के लिए गरुड़ कमांडो फोर्स की स्थापना की। पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के दौरान गरुड़ कमांडो ने पहली बार आतंकियों का मुकाबला किया था।
उस हमले में आतंकियों से लड़ते हुए गरुड़ कमांडो गुरसेवक शहीद हो गए थे। गरुड़ कमांडो इस समय कश्मीर घाटी में कई मोर्चों पर आतंकियों से लड़ रहे हैं। साल 2017 में गरुड़ कमांडो ने 8 से 9 आतंकियों को मार गिराया था।
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