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आजाद भारत की पहली हॉरर फिल्म थी ‘महल’, 'कामिनी' की रूह ने उड़ा दी थी सबकी नींदें

आजाद भारत की पहली हॉरर फिल्म थी ‘महल’, 'कामिनी' की रूह ने उड़ा दी थी सबकी नींदें

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वैसे तो हिंदी सिनेमा की शुरुआत साल 1912 में हुई थी। उस दौर में कई फिल्में बनी थी, जो केवल रोमांटिक हुआ करती थी। उन फिल्मों में कोई एक्शन, रिएक्शन या डर नाम की चीज नहीं हुआ करती थीं। वो दौर ब्रिटिश हुकूमत का हुआ करता था और उस दौर में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में बना करती थीं। उस समय में सिनेमा में ब्रिटिश लोगों का कहीं न कहीं और कोई न कोई जुड़ाव रहता था। इसके बाद साल 1947 में आजाद हुआ है और उसके बाद फिल्मों और उनकी कहानियों में बड़ा बदलाव आया। इसके बाद आजाद भारत में एक से बढ़कर एक फिल्में बनाईं गईं।

उस दौर में लोगों को फिल्म की कहानियों में जो दिखाया जाता था वही लोगों के लिए बेहतरीन सिनेमाघ हुआ करता था। भारत के आजाद होने के बाद दिग्गज निर्देशकों और कलाकारों ने एक से बढ़कर एक फिल्मों को बनाया और उनमें अपनी बेतरीन अदाकारी के नमूने पेश किए। यही वो समय था जब निर्देशकों ने रोमांस और राजनीति से कुछ अलग कहना चाह और लोगों के सामने हॉरर कंटेंट पेश किया। जी हां, आजादी के दो साल बाद साल 1949 में पहली हॉरर फिल्म बनाई थी। बताया जाता है कि जब ये फिल्म पर्दे पर आई तो उसने हर किसी के होश उड़ा दिए थे।

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उस दौर में हर कोई उस फिल्म को देखने के बाद सहम गया था। आजाद भारत की इस पहली हॉरर फिल्म का नाम 'महल' (Mahal) था। इस फिल्म में अशोक कुमार (Ashok Kumar) और मधुबाला (Madhubala) ने काम किया था। इस फिल्म को उस दौर के बेहतरीन और दिग्गज निर्देशक कमाल अमरोही ने इससे फिल्म से डायरेक्शन की दुनिया में अपना डेब्यू दिया था।

इस फिल्म को खेमचंद प्रकाश ने अपने संगीत से सजाया था। इस फिल्म का एक फेमस गाना आज भी सुना जाता है, जो था 'आए गा... आए गा.. आने वाला आएगा'। इस फिल्म के गाने दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने गाए थे, जिससे उनको असली पहचान मिली थी। फिल्म महल को बॉक्स ऑफिस पर खूब पसंद मिला था। ये उस दौर की हिट और सबसे हॉरर फिल्म में थी, जिसनें लोगों की नींद तक उड़ा दी थी।

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फिल्म की कहानी एक ऐसी महिला की है, जिसका नाम कामिनी होता है। ये किरदार मधुबाला ने निभाया था। कामिनी अपने प्रेमी का लंबे समय से महल में इंतजार कर रही होती है, लेकिन प्रेमी की नाव पानी में डूब जाती है और वो मर जाता है और उसके कुछ दिन बात इंतजार करते हुए कामिनी महल में दम तोड़ देती है। कुछ समय बाद हरि शकंर यानी अशोक कुमार उस महल में रहने आते हैं, जिसके बाद उसको कामिनी की पूरे महल में आवाज सुनाई देने लगती है। हरि शकंर कामिनी की आवाज सुनकर उसको चारों को ढूंढने लगता है। इस तरह फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।


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