करणीसेना ने एक बार फिर राजस्थान के इतिहास पर बन रही फिल्म को लेकर अदालत में गुहार लगाई है। अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म 'पृथ्वीराज' को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या सेंसर बोर्ड ने फिल्म 'पृथ्वीराज' की रिलीज के लिए सर्टिफिकेट दिया है। अदालत का आदेश गुरुवार को एक जनहित याचिका (PIL) में आया, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की (महिला विंग) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली वकील संगीता सिंह ने यह आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है कि फिल्म का शीर्षक 'सम्राट पृथ्वीराज चौहान' की जगह 'पृथ्वीराज' रखा गया है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है। राजपूत समुदाय की धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं को भी ठेस पहुंचती है।
21 फरवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में अदालत ने मामले की सुनवाई तय की है। न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति एन.के. जौहरी ने यह आदेश करणी सेना की उपाध्यक्ष संगीता सिंह की जनहित याचिका पर पारित किया।
यह पहली बार नहीं है जब अक्षय कुमार की फिल्म का विरोध किया गया है। 2017 में भी करणी सेना ने संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित 'पद्मावती' का भी विरोध करणी सेना ने की थी, जिसके बाद इस फिल्म का नाम बदलकर 'पद्मावत' कर दिया गया था।
फिल्म 'पृथ्वीराज' के विरोध में याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादियों ने ऐतिहासिक योद्धा हिंदू राजा को बदनाम करने, अपमानित करने की कोशिश की है, जिन्होंने हिंदुस्तान की सुरक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। साथ ही फिल्म में एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर द्वार फिल्म में पहनी गई पोशाक पर भी आपत्ति जताई गई है।
याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या फिल्म 'पृथ्वीराज' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया गया है या नहीं और मामले को 21 फरवरी 2022 से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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