नई दिल्ली: अपनी जादुई आवाज से कई पीढ़ियों की रूह को छूने वाले किशोर कुमार लोगों के ऑलटाइम फेवरेट गायक हैं। आज भी किशोर कुमार के गीतों को सबसे ज्यादा सुना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कैसे 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्में बेसुरे आभास कुमार बन गए 'एवरग्रीन' सुरों के सरताज किशोर कुमार। आइये जानते है इस दिलचस्प किस्से के बारे में।
लगभग 1500 से ज्यादा गाने गाए
किशोर कुमार अपने दौर के सबसे मंहगे गायकों में से एक हुआ करते थे। उन्होंने करियर में किशोर दा ने लगभग 1500 से ज्यादा गाने गाए। हालांकि बॉलीवुड के नायाब सितारे किशोर दा की आवाज बचपन से ऐसी सुरीली नहीं थे, बल्कि खराब ही मानी जाती थी, लेकिन एक हादसे ने उनकी किस्मत ही बदल दी और आभास से बना दिया सुरों का सरताज किशोर कुमार।
आवाज बचपन में बेहद खराब थी
दरअसल इस बारे में किशोर कुमार के भाई और एक्टर अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि गायकी में महाने कहे जाने वाले किशोर कुमार की आवाज बचपन में बेहद खराब थी। उनका गला बैठ हुआ था। उनका कहना था कि अगर बचपन में किसी ने किशोर की आवाज सुनी होती तो कोई भी ये नहीं मान सकता था कि ये आगे चलकर बॉलीवुड पर अपनी आवाज से धाक जमाएगा।
अशोक कुमार ने बताया था कि जब किशोर कुमार छोटे थे तो एक बार मां को बुलाते हुए किचन में दौड़ पड़े थे। वहां पर रखी दराती पर उनका पैर पड़ गया था और इसके चलते उनके पैर की एक उंगली बुरी तरह से कट गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, लेकिन किशोर का दर्द नहीं जा रहा था।
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करीब 20 दिनों तक रोते रहे
इसलिए वो लगातार करीब 20 दिनों तक रोते रहे। रोने की वजह से उनके गले में बदलाव आ गया और ऐसी खनक आ गई जो बहुत अच्छी लग रही थी। इसे ऐसे समझ लीजिए कि बेइंतहा रोने से उनका रियाज हो गया। इस तरह जब उनकी आवाज में मधुरता आई तो उन्होंने बॉलीवुड में बतौर गायक कदम रखा और अपनी आवाज का जादू हर किसी पर चलाया जो आज तक कायम है।
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