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इस वजह से अमिताभ का सरनेम पड़ा था बच्चन


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अमिताभ बच्चन अभिनेता होने से पहले हिंदी साहित्य के जाने माने कवि हरिवंश राय के पुत्र थे। कवि हरिवंश राय को हिंदी साहित्य में कुछ चुनिंदा विधाओँ में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। लेकिन जब उनकी जाति का नाम राय था तो अमिताभ के साथ बच्चन कैसे जुड़ा।

अमिताभ ने अपने शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में एक प्रतिभागी को अपनी जाति के बारे में बताया। दरअसल अमिताभ ने महिला प्रतिभागी से उनकी लव लाइफ के बारे में पूछा जिसमें उन्होनें बताया किया वे और उनके पति अलग अलग जाति से थे। जिससे उन्हें शादी में बेहद समस्या आई थी।

शादी के बाद प्रतिभआगी के परिवार वालों ने उन्हें नहीं अपनाया औऱ आज तक उनसे बात नहीं कि इस किस्से को सुनकर अमिताभ बच्चन भावुक हो गए क्योकिं उनके माता पिता का विवाह भी अंतरजातीय था। विवाह के बाद उन्हें भी संघर्ष का सामना करना पड़ा था।

कवि हरिवंश राय बच्चन यानी अमिताभ बच्चन के पिता हिन्दू कायस्थ थे। वही उनकी माता पंजाबी सिख परिवार से आती थी। अमिताभ बच्चन ने कहा कि उनके माता-पिता की शादी में भी काफी परेशानी आई थी। पर बाद में घर वाले मान गए थे। फिर भी उनके बाबूजी ने इस भेद को ख़त्म के लिए एक ऐसा कदम उठाया, जिससे उनके लिए यह जातिभेद ही समाप्त हो गया। अमिताभ बच्चन ने बताया कि जब स्कूल में उनका दाखिला कराने गए तो स्कूल में पूछा गया कि उनका सरनेम क्या है।

ऐसे में उनके पिता जी ने अपना उपनाम अमिताभ के आगे लगाते हुए कहा कि उनका सरनेम ‘बच्चन’ है. अमिताभ बच्चन ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि, बच्चन नाम रखकर उनके पिताजी जाति का भेद मिटाना चाहते थे, क्योंकि बच्चन नाम से जाति का बोध नहीं होता।

बता दें कि कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपने नाम के साथ बच्चन उपनाम के तौर पर जोड़ा था। जो कि उस दौर में अक्सर हिदीं साहित्यकार किया करते थे। बता दें कि हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य की छायावाद शाखा के कवि थे। उनकी रचना ‘मधुशाला’ आज भी हिंदी साहित्य में कालजयी मानी जाती है। इस रचना में उन्होनें मधु यानि शराब के बारे में वर्णन किया है।



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