सांप पूर्ण रूप से बहरा होता है और दरअसल वह सपेरे की बीन की धुन पर नहीं नाच रहा होता है, वह सपेरे द्वारा बीन में की गई हरकत का अनुसरण कर रहा होता है, जो कि देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि वह नृत्य कर रहा है, परंतु ऐसा नहीं होता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि सपेरे की बीन के ऊपर बहुत सारे कांच के टुकड़े लगे हुए होते हैं, उन्हें लगाए जाने का एक कारण होता है, क्योंकि जब उन टुकड़ों के ऊपर धूप या रोशनी पड़ती है तो उनसे चमक निकलती है, जिससे कि सांप हरकत में आ जाता है।
इसी कारण जब सपेरा बीन को बजा कर हिलाते हुए आवाज निकाल रहा होता है, तो इस प्रकाश की चमक के कारण सांप का ध्यान उस ओर आकर्षित होता है , और सांप उसकी चाल का अनुसरण करता है और हमें यह भ्रम होता है कि सांप नाच रहा है।
दरअसल सांप कानों के स्थान पर अपनी त्वचा का इस्तेमाल करता है, वह अपने आसपास के वातावरण में हो रही किसी भी गतिविधि का जायजा अपनी त्वचा पर पड़ रही तरंगों के माध्यम से लेता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि सपेरे की बीन के ऊपर बहुत सारे कांच के टुकड़े लगे हुए होते हैं, उन्हें लगाए जाने का एक कारण होता है, क्योंकि जब उन टुकड़ों के ऊपर धूप या रोशनी पड़ती है तो उनसे चमक निकलती है, जिससे कि सांप हरकत में आ जाता है।
इसी कारण जब सपेरा बीन को बजा कर हिलाते हुए आवाज निकाल रहा होता है, तो इस प्रकाश की चमक के कारण सांप का ध्यान उस ओर आकर्षित होता है , और सांप उसकी चाल का अनुसरण करता है और हमें यह भ्रम होता है कि सांप नाच रहा है।
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