दशहरा या विजय दशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। इसे हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानि नवरात्रि समापन पर मनाया जाता है। पौराणिक कथा अनुसार, इस पावन दिन पर प्रभु श्रीराम ने रावण और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। उसी के बाद इस पावन पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हो गई। इसदिन अच्छाई ने बुराई पर विजय हासिल की थी। इसलिए इसे विजय-दशमी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस तिथि को बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस पर्व पर वास्तु शास्त्र अनुसार कुछ खास उपाय करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं उन उपायों के बारे में...
- दशहरे के खास पर्व पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते हैं।
- विजय दशमी के पावन दिन पर बुराई का प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है। रावण दहन की राख को सरसों तेल में मिलाकर घर के हर कोने में छिड़क दें। माना जाता है कि इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
- इस शुभ दिन पर घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में रोली, कुमकुम, लाल रंग व फूलों से रंगोली बनाएं। मान्यता है कि इस खास पर्व पर घर के कोने में अष्टकमल या रंगोली बनाने से मां लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही अन्न व धन की बरकत बनी रहती है।
- शमी के पेड़ को बेहद ही शुभ माना जाता है। इसलिए विजय दशमी के पावन दिन पर इसकी पूजा जरूर करें। इसके साथ ही दशहरे की पूजा में शमी पौधे के पत्ते चढ़ाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा शमी के पेड़ की मिट्टी पूजा स्थल में रखने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
- विजय दशमी के पावन दिन पर शमी पेड़ की पूजा करने के बाद इसके नीचे दीपक जरूर जलाएं। मान्यता है कि इससे जीवन के रूके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं। इसके साथ ही सफलता के रास्ते खुलते हैं।
- दशहरे के पावन दिन पर नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे जीवन की समस्याएं दूर होकर सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन पान खाना बेहग शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसका सेवन करने से दांपत्य जीवन में मिठास आती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख-शांति व खुशहाली बनी रहती है।
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