बॉलीवुड में रातों-रात स्टार बनना एक ऐसे व्यक्ति के लिए बेहद मुश्किल होता है जिसके पहले से बॉलीवुड में कोई कनेक्शन्स ना हो वो आज भी कई युवा मायानगरी मुंबई की चमक दमक देखकर वहां जाकर फिल्मों में अभिनय करने का सपना देखते हैं। लेकिन उनमें से कई लोगों को खाली हाथ अपने घर लौटना पड़ता है। क्यूंकि मुंबई जैसे शहर में ज्यादा दिनों बिना किसी काम के गुजारा कर पाना एक कठिन काम है। इन युवाओं और सपनों के सौदागर में से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो एक कड़े संघर्ष और कई जगह ठुकराए जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारते। और लगातार मेहनत में जुटे रहते हैं। इन्हीं लोगों को मौका मिलता है स्टार बनकर दुनिया में चमकने का।
इन्हीं संघर्ष के अंधेरों में से सितारों जैसी चमक बनकर उभरे अनुराग कश्यप। अनुराग कश्यप बॉलीवुड में अपने यूनिक और बोल्ड कन्टेंट के लिए तथा बेहतरीन कास्टिंग के लिए जाने जाते हैं। अनुराग कश्यप मात्र पांच हजार रुपए लेकर एक्टर बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे। थोड़े ही समय में उनके पैसे खत्म हो गए। लेकिन संघर्ष जारी रहा। वह किसी भी तरह से एक अवसर की तलाश में थे। इसके लिए उन्होनें ने मुंबई में कई रातें सड़क पर सो कर भी गुजारी थी।
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से आने वाले अनुराग कश्यप एक थियेटर आर्टिस्ट थे। उन्होनें डायरेक्शन से पहले बतौर एक्टर भी कई फिल्मों में काम किया था। उन्होनें गुलाल, DEV D, लक बाय चांस, भूतनाथ, शागिर्द आदि सहायक भूमिकाओं को निभाया था। लेकिन एक्टिंग के बाद अनुराग कश्यप की रूचि डायरेक्शन की ओर बढ़ी। ‘पांच’ पहली फिल्म थी जिसे अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया था। लेकिन यह फिल्म बनते ही विवादों में घिर गई। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को देखकर इसपर बैन लगा दिया। जिसके बाद ये कभी रिलीज नहीं हो सकी। यह फिल्म पांच रॉकस्टार्स पर आधारित थी जो नशे में लिप्त रहतें है। इस फिल्म के हिंसात्मक सीन्स की वजह से इस पर सेंसर बोर्ड की कैंची चली थी।
ब्लैक फ्राइडे अनुराग कश्यप की लगातार दूसरी फिल्म बनी जिसे सेंसर बोर्ड द्वारा बैन कर दिया गया। यह फिल्म मुंबई धमाकों पर आधारित थी। जिसमें राजनीति टिप्पणियों की वजह से इसे बैन झेलना पड़ा था।
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