नई दिल्ली। बॉलीवुड की मशहूर गायिका और स्वर कोकिला के नाम से जानी जाने वाली लता मंगेशकर ने अपने टैलेंट से दुनियाभर में नाम कमाया है। उनकी लाखों-करोड़ों में फैन फॉलोइंग है। उनकी आवाज का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। छोटी सी उम्र से ही उन्होंने संगीत को अपना जीवन बना दिया था। महज १३ साल की उम्र से ही लता मंगेशकर ने गाना शुरू कर दिया था। उन्होंने हिंदी समेत करीब 36 से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने गाए हैं। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के साथ-साथ कई बड़े अवॉर्ड को अपने नाम किया है। लेकिन जब लता मंगेशकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थीं तब उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी।
इस बात का खुलासा लता मंगेशकर ने खुद एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने लंदन के फिल्मकार और भारतीय सिनेमा पर कई किताबें लिखने वाले मशहूर लेखक नसरीन मुन्नी कबीर को दिए इंटरव्यू इस बारे में बताया था। एक दिन अचानक लता के पेट में तेज दर्द होने लगा। वह खड़ी तक नहीं हो पा रही थीं। इसके बाद उन्हें हरे रंग की उल्टियां होने लगीं। फिर डॉक्टर को बुलाया गया। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि उन्हें स्लो पॉयजन दिया गया था।
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लता मंगेशकर ने कहा, "1962 में मैं लगभग तीन महीने तक बहुत बीमार रही। मैंने सोचा कि मैं फिर कभी नहीं गा पाऊंगी। एक दिन मैं अपने पेट में बहुत बेचैनी महसूस कर रही थी। तभी मुझे अचानक हरे रंग की उल्टी आई। ये देख मैं डर गई थी। घर पर डॉक्टर आए और एक्स-रे मशीन भी घर ले आए क्योंकि मैं हिल नहीं सकती थी। उन्होंने मेरे पेट का एक्स-रे किया और कहा कि मुझे धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है।" उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें जहर कौन दे रहा था। उन्होंने कहा, "घर में एक नौकर था जिसने खाना बनाया था। तभी ऊषा सीधे रसोई में गई और सभी से कहा कि अबसे वह खाना बनाएंगी। तभी नौकर बिना किसी को बताए और बिना कोई भुगतान लिए चुपके से चला गया। इसलिए हमेंलगा कि किसी ने उसे जानबूझकर लगवाया है, लेकिन हमें नहीं पता था कि वह कौन था।"
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लता मंगेशकर की बॉडी में जहर का असर लंबे वक्त तक रहा था। वह तीन महीने तक बिस्तर पर पड़ी रही थीं। उनका इलाज उनके परिवार के डॉक्टर ने किया था। लगभग तीन महीने बाद वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाई थीं।
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