नई दिल्ली: When Indira Gandhi cried after seeing Amitabh Bachchan's condition: अगर आप अमिताभ बच्चन के फैन हैं को अपने उनकी फिल्म ‘कुली’ शायद जरूर देखी होगी। साल 1983 में आई ये फिल्म जबरदस्त हिट साबित हुई थी। लेकिन इस फिल्म ने अमिताभ को मौत के दरवाजे तक पहुंचा दिया था। अमिताभ की हालत इतनी खराब हो गई थी, इंदिरा गांधी भी खुद को रोक नहीं पाई थीं। आइये जानते हैं पूरी कहानी।
बिग बी दर्द से कराह पड़े थे
फिल्म ‘कुली’ जबरदस्त हिट साबित हुई थी, लेकिन इस फिल्म के सेट पर हुए हादसे को बिग-बी, उनका परिवार और उनके फैंस कभी भूल नहीं पाएंगे। दरअसल बंगलुरु में ‘कुली’ की शूटिंग चल रही थी। एक फाइटिंग सीन शूट किया जा रहा था। अमिताभ के ऑपोजिट पुनीत इस्सर विलेन का रोल निभा रहे थे। शूटिंग के दौरान उन्होंने अमिताभ के पेट में एक घूंसा मारा। जिससे बिग बी दर्द से कराह पड़े। पहले-पहल तो किसी को और खुद अमिताभ को भी कुछ समझ नहीं आया। अमिताभ बाहर जाकर एक पार्क में लेट गए।
मांगी जाने लगीं थीं दुआएं
लेकिन जब दर्द असहनीय हो गया तो उन्हें डॉक्टरों के पास ले जाया गया, तब कहीं जाकर चोट की गंभीरता का पता चला। चोट की वजह से अमिताभ की आंतें फट गई थीं। आनन-फानन में उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ले जाया गया। अमिताभ बच्चन के लिए पूरे देश में दुआएं मांगी जा रही थीं। उनके प्रशंसकों का रो-रोकर बुरा हाल था।
रो पड़ी थीं इंदिरा गांधी
जिस वक्त अमिताभ को चोट लगी उस वक्त इंदिरा गांधी एक आधिकारिक दौरे पर अमेरिका गई थीं। उनके साथ राजीव गांधी भी थे। अमिताभ की चोट की खबर सुनकर वह परेशान हो गईं। उन्होंने बेटे राजीव को तत्काल भारत रवाना कर दिया।
भारत लौटते ही इंदिरा गांधी खुद अमिताभ से मिलने हॉस्पिटल पहुंचीं। इस घटना का जिक्र करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई अपनी किताब ‘नेता अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में लिखते हैं कि अमिताभ को ऐसी हालत में देख इंदिरा गांधी की आंखों में आंसू आ गए थे।
देवरहा बाबा से मंगाई ताबीज़
किदवई, कांग्रेस के दिवंगत नेता माखन लाल फोतेदार की आत्मकथा ‘द चिनार लीव्स’ के हवाले से लिखते हैं कि अमिताभ की चोट से इंदिरा इतनी परेशान हो गईं कि उन्होंने अपने पारिवारिक पंडित से विशेष पूजा अर्चना कराई थी। इसके अलावा इंदिरा गांधी ने देवरहा बाबा से सफेद कपड़े में लिपटा एक विशेष ताबीज भी मंगवाया था। यह ताबीज 10 दिनों तक अमिताभ बच्चन के तकिए के नीचे तब तक रखा रहा, जब तक पंडित ने अपनी पूजा नहीं पूरी कर ली।
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