रोते हुए जाते है सब, हंसते हुए जो जाएगा.. वो मुकद्दर का सिंकदर जाने मन कहलाएगा... बाइक चलाते हुए मुकद्दर का सिकंदर का ये गाना दर्शकों को आज भी जिंदगी की हकीकत से रूबरू करवाता है। इस 70 के दशक में अमिताभ को शोहरतों की ऊंचाई पर पहुंचाने में इस फिल्म का भी बड़ा योगदान था। इस फिल्म को दर्शकों की बेजोड़ प्रशंसा मिली। मुकद्दर का सिकंदर उन साल सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म बनी थी।
इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा विनोद खन्ना भी मुख्य भूमिका में थे। इससे पहले विनोद खन्ना और अमिताभ की जोड़ी हेरा फेरी, अमर अकबर एंथोनी जैसी हिट फिल्मों में नजर आ चुकी थी। इसीलिए फिल्म के निर्माता प्रकाश मेहरा ने इन्हीं दो दिग्गजों को साथ लेकर फिल्म बनाने का विचार किया। कहा जाता है कि एक वक्त था जब लोकप्रियता के मामलें में विनोद खन्ना, अमिताभ से जरा भी पीछे नहीं थे। बताया यहां तक भी जाता है कि इसी बात को लेकर दोनों अभिनेताओं के बीच मनमुटाव हो गया था। हालांकि इस खुले तौर पर कभी स्वीकार नहीं किया। इसी को लेकर मुकद्दर का सिकंदर के शूट की एक घटना बेहद मशहूर हुई थी।
दरअसल फिल्म के एक सीन में अमिताभ को विनोद खन्ना की तरफ एक कांच का गिलास फेंकना था। और जब अमिताभ गिलास फेंकते तब विनोद खन्ना को झुक जाना था। अमिताभ कैरेक्टर में ज्यादा अंदर चले गए उन्होनें गिलास को जरूरत से ज्यादा बल लगाकर फेंक दिया। तब ऐन मौके पर विनोद खन्ना झुक नहीं सकें। और गिलास उनकी ठुढ्डी में जा लगा। कांच गिलास टूट गया और विनोद खन्ना के चेहरे पर कट लग गया। इस घटना को लेकर अमिताभ ने बेहद अफसोस जताया था। हालांकि अफवाह यह भी थी कि अमिताभ ने विनोद खन्ना से खीझ कर उन पर ये हमला किया था।
मुकद्दर का सिकंदर में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना के अलावा अभिनेत्री राखी, अमजद खान, कादर खान, रंजीत, रेखा, निरूपा रॉय अन्य सहयोगी भूमिकाओं में हैं। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन एक अनाथ लड़के के किरदार में हैं। वहीं विनोद खन्ना ने एक वकील की भूमिका को निभाया है। इन दिनों के अलावा फिल्म को कादर खान के मशहूर संवादों के लिए भी जाना जाता है।
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