लड़के लड़कियों के लिए कुछ भी चीजें खरीदते वक़्त यही ख्याल रखते हैं सब की लड़की के लिए पिंक और लड़के के लिए ब्लू कलर हो। हम में से ज्यादातर लोग लड़कों के लिए नीला और लड़की के लिए गुलाबी या उससे मिलते-जुलते किसी रंग की ही ड्रेस को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है। तो चलिए हम बता देते हैं। इसके कई तर्क हैं जिनमे पहला है....
* लड़कियां नाज़ुक होती हैं और गुलाबी रंग को भी नाज़ुक चीज़ों की पहचान के रूप में देखा जाता है। जैसे गुलाबी आंखें, गुलाबी गाल या गुलाबी मिजाज ये सारी चीजें हमेशा से लड़कियों से जुड़ी होती हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर लड़के नीले या उससे मिलते-जुलते रंगों की तरफ आकर्षित होते हैं। इस रंग को गंभीरता और औपचारिकता से जोड़ा गया है। आपको बता दें कि पुराने समय से ही रंगों का ऐसा ही बंटवारा होता रहा है।
बीसवीं सदी की शुरुआत में रंगों का विभाजन बिलकुल उल्टा था। हांगकांग से छपने वाली महिलाओं की पत्रिका ‘होम जरनल’ के एक आर्टिकल अनुसार, उस समय गुलाबी रंग लड़कों और नीला रंग लड़कियों के लिए उपयुक्त समझा जाता था, क्योंकि गुलाबी रंग कहीं ज्यादा स्थायित्व और मजबूती का प्रदर्शन करने वाला रंग है। इसलिए यह पुरुषों के लिए सही है। वहीं नीला रंग ज्यादा नाजुक और सजीला है, इसलिए ये महिलाओं के नाज़ुक और कोमल होने से जोड़ा जा सकता है।
लेकिन 1940 के आते-आते रंगों का ये बंटवारा एकदम उल्टा यानी वर्तमान की तरह ही हो गया। लोगों का मानना है कि ‘जेंडर कलर पेयरिंग की अवधारणा फ्रैंच फैशन की देन है। जैसे गुलाबी यानि महिलाएं और नीला यानी पुरुष। फ्रांस के फैशन जगत में रंगों का यह बंटवारा होने के पहले महिलाओं और पुरुषों के रंग चयन करने की प्रवृत्ति को समझने के लिए 1927 में 'टाइम मैगजीन' ने एक सर्वे किया था जिसमें पूरे विश्व के अलग-अलग शहरों के फेमस फैशन स्टोर्स शामिल थे। इस सर्वे के अंत में पत्रिका की और से यह नतीजा सामने आया कि Spectrum (वर्णक्रम) के एक हिस्से की तरफ पुरुषों का ज्यादा झुकाव होता है, तो दूसरे हिस्से की तरफ महिलाओं का। इन नतीजों के मुताबिक, पुरुष Spectrum के एक तरफ स्थित नीले, हरे और जामुनी रंगों को तवज्जो देते हैं, तो महिलाओं का झुकाव Spectrum के दूसरे सिरे की तरफ होता है। इस सिरे पर लाल और उसके करीबी रंग पाए जाते हैं।
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