माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें सिर के एक तरफ तेज दर्द और उल्टी जैसा महसूस होता है। आज के समय में खराब खानपान, अनियंत्रित जीवनशैली, तनाव, अनुवांशिंकता और अधिक सोने के कारण लोग माइग्रेन की बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा डिप्रेशन और एंजाइटी के कारण स्ट्रेस माइग्रेन की बीमारी होती है। मेडिकल रिसर्च के अनुसार सेंट्रल नर्व में गड़बड़ी की वजह से माइग्रेन की समस्या होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है पुरुषों से अधिक महिलाएं माइग्रेन की बीमारी का शिकार होती हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार जहां माइग्रेन की समस्या से केवल 24 प्रतिशत पुरुष ही प्रभावित होते हैं, वहीं 76 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी का शिकार होती हैं। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज ना किया जाए तो यह बेहद ही खतरनाक रूप ले लेती है। बता दें कि भारत में करीब 15 करोड़ लोग माइग्रेन की बीमारी से ग्रस्त हैं। माइग्रेन के कारण सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है, इसलिए बोलचाल की आम भाषा में माइग्रेन को अधकपाड़ी या फिर अर्द्धकपाली भी कहा जाता है।
माइग्रेन के लक्षण: माइग्रेन की बीमारी में सिर के आधे हिस्से में तेज दर्द, उल्टी, ब्लाइंट स्पॉट, रोशनी और आवाज के बढ़ने से संवेदनशीलता, ध्यान केंद्रित ना कर पाना, मानसिक शक्ति प्रभावित होना, त्वचा का पीला पड़ जाना और हाथ-पैरों में झुनझुनी जैसी समस्याएं महसूस होती हैं।
बचाव के उपाय: माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित लोगों को अपने खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। क्योंकि कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जिनके कारण माइग्रेन का दर्द बढ़ सकता है।
ठंडी चीजें: माइग्रेन के मरीजों को ठंडी चीज खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे माइग्रेन की समस्या बढ़ सकती है। माइग्रेन के रोगियों को आइसक्रीम आदि के सेवन से परहेज करना चाहिए।
चाय और कॉफी: माइग्रेन के रोगियों को चाय और कॉफी का सेवन कम कर देना चाहिए। क्योंकि कॉफी में मौजूद कैफीन माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। साथ ही कैफीन दिमाग की नसों में रुकावट डाल देता है, जिसके कारण ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन का फ्लो धीमा हो जाता है।
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