आजकल हर कोई पूजा पाठ में नारियल का उपयोग होता है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले नारियल फोड़ने की प्रथा है। ये एक शुभ फल माना जाता है। इसलिए मंदिरों में इसे चढ़ाने की परम्परा है। कोई भी पूजा या शुभ काम बगैर नारियल चढ़ाएं लाभदायक नहीं माना जाता है।
क्यों फोड़ा जाता है नारियल
ज्योतिष शास्त्र में भी नारियल का फल प्रत्येक पूजा उपासना में सम्पन्नता का प्रतीक माना गया है। इसे लक्ष्मी जी का स्वरूप मानते हैं इसलिए इसे श्रीफल भी बोलते हैं।
पूजा में नारियल तोड़ने का मतलब है कि मनुष्य ने अपने इष्ट देव को स्वयं को समर्पित कर दिया इसलिए पूजा में ईश्वर के समक्ष नारियल फोड़ा जाता है।
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार ऋषि विश्वामित्र इंद्र से रुष्ट हो गए तथा दूसरा स्वर्ग बनाने की रचना करना लगे। किन्तु वो दूसरे स्वर्ग की रचना से संतुष्ट नहीं थे। तत्पश्चात, उन्होंने दूसरी सृष्टि के निर्माण में मानव के तौर पर नारियल का इस्तेमाल किया था।
पहले के वक़्त में बलि देने का प्रथा बहुत ज्यादा थी। उस वक़्त में मनुष्य तथा जानवरों की बलि देना समान बात थी। तभी इस प्रथा को तोड़ने के लिए नारियल चढ़ाने की प्रथा आरम्भ हुई।
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