भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। भारत ने जर्मनी को ब्रांज मेडल मुकाबले में 5-4 से हराते हुए ओलंपिक में 41 साल बाद कोई मेडल अपने नाम किया। इससे पहले भारतीय टीम ने 1980 में मास्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसी के साथ भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में अपने मेडलों की संख्या 12 कर दी है। भारत ओलंपिक में अब 8 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रांज मेडल अपने नाम कर चुका है।
8 बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर 8 मिनट में 4 गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही। भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट) ने दो जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह ने एक-एक गोल किया।
दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थी। भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही। टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजूद 2-5 से हार झेलनी पड़ी। भारतीय टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है।
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