रक्षाबंधन अर्थात राखी का पावन पर्व आ चुका हैं जिसमें सभी बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते हुए उनके जीवन में मंगल कामना करती हैं। इसके लिए सभी बहिन खूबसूरत राखी का चुनाव करती हैं जो भाई पर जचें। लेकिन क्या आप जानते हैं की राखी किस तरह की हो इसका भी बहुत महत्व होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको शास्त्रों में बताई गई जानकारी देने जा रहे हैं जो बताती हैं कि किस तरह की राखी का चुनाव किया जाना चाहिए जो शुभ फलदायी साबित हो। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
कलावे वाली राखी
राखी का मतलब है रक्षा सूत्र। पौराणिक कथाओं में राखी के लिए कच्चे सूत का उल्लेख मिलता है। यह कच्चा सूत कलावा है जिसे किसी भी धार्मिक आयोजन के समय पुरोहित यजमान की कलाई में रक्षा मंत्र बोलते हुए बांधते हैं। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो यह सबसे उत्तम रक्षा सूक्ष यानी राखी है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन पुरोहित लोग इसे ही यजमान की कलाई में बांधकर राखी का त्योहार मनाते हैं।
ऊन से बनी राखी
आज कल बाजार में ऊन से बनी हुई राखी भी खूब मिल जाती है। वैसे शास्त्रों में ऊन की राखी का कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता है। वैसे ऊन को शुद्ध माना जाता है इसलिए पूजा-पाठ में ऊन के आसन का प्रयोग किया जाता है लेकिन राखी के तौर पर ऊन की राखी को मध्य श्रेणी का माना गया है।
रेशमी राखी
राखी को लेकर पुराने गानों में रेशम से बनी राखी का बड़ा गुणगान किया गया है। दरअसल रेशम से बनी राखी बहुत ही चमकीली और सुंदर दिखती है। रेशम को धर्म ग्रंथों में पवित्र सूत्र के रूप में बताया गया है। जैसे तुलसी का पत्ता कभी अशुद्ध नहीं होता, सूख जाने पर भी तुलसी के पत्ते को भगवान पर अर्पित किया जा सकता है उसी प्रकार रेशम को भी हमेशा शुद्ध माना गया है। इसलिए रेशम से बनी राखी को बहुत की पवित्र और प्रेम में शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भाई-बहनों की राखी के लिए रेशम की बनी राखी उत्तम है।
धातु की राखी
आज कल सोने चांदी की राखी का भी खूब प्रचलन हो गया है। धातु की राखियों को भी शुद्ध माना जाता है जिसे हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती है। आप हर साल चाहें तो एक बार इनकी राखी बनवाकर धारण कर सकते हैं। वैसे रेशम की राखी धातु की राखी से उत्तम है।
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