काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके में 12 अमेरिकी सैनिकों समेत कुल 60 लोगों की जान चली गई। वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. देश छोड़ने की आस में एयरपोर्ट आए लोग अब अपनी जान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। धमाके के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि धमाका इतना जोरदार था कि लोगों के शरीर के चीथड़े हवा में उड़ते दिखाई दिए।
अंतरराष्ट्रीय विकास समूह का एक पूर्व कर्मचारी ने धमाके की आंखो देखी बयां की जिसे सुनकर दिल दहल जाएगा। इस व्यक्ति के पास अमेरिकी वीजा है और वह हजारों लोगों के साथ लाइनों में लगा था, ताकि वह विमान तक पहुंच सके और देश छोड़कर जा सके। यह लगभग 10 घंटे तक लाइन में खड़ा रहा और अचानक शाम 5 बजे जोरदार धमाका हुआ।
वो बताते हैं, "यह ऐसा था जैसे किसी ने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खींच ली हो; एक पल के लिए मुझे लगा कि मेरे कान के परदे फट गए हैं और मैं अब सुन नहीं सकता हूं। मैंने देखा कि शरीर के शरीर और और शरीर के अंग हवा में उड़ने लगे थे ऐसा लग रहा था कि एक बवंडर प्लासटिक की थैलियों को लेकर उड़ रहा है. मैं लाशें, शरीर के अंग, बुजुर्ग, घायल पुरुष, महिलाएं और बच्चों विस्फोट की जगह पर बिखरे देखा था"
वो कहते हैं, "इस जीवन में कयामत देखना संभव नहीं है, लेकिन आज मैंने कयामत देखी, मैंने इसे अपनी आँखों से देखा।" 20 साल बाद सत्ता में वापसी करने वालों ने लोगों को विश्वास दिलाने की कोशिश की कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करेगा लेकिन लोगों को इस बात पर भरोसा नहीं हुआ।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, आज सड़क पर पड़ी लाशों और घायलों को अस्पताल ले जाने वाला भी कोई नहीं था, उन्हें सड़क से हटाने वाला भी कोई नहीं था. "शव और घायल सड़क पर और सीवेज नहर में पड़े थे। उसमें बहता थोड़ा सा पानी खून में बदल गया था।" वो बताते हैं, "शारीरिक रूप से, मैं ठीक हूं... लेकिन मुझे नहीं लगता कि जो मानसिक घाव मुझे आज मिले हैं उसके बाद मैं कभी सामान्य जीवन जी पाउंगा।"
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