भारत के रहस्यमयी मंदिरों की कहानियां तो हम अक्सर ही आपके साथ शेयर करते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको जिस रहस्यमयी मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं, उसके लिए दावा है कि इसकी गुत्थी सुलझाने के अब तक के सारे प्रयास व्यर्थ ही गए हैं। जी हां यह बहुत ही खास मंदिर है। इस मंदिर में 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं। तो आइए जानते हैं कहां हैं यह मंदिर, कौन सा है यह मंदिर और इतनी मूर्तियों का आखिर क्या है रहस्य?
उनाकोटी को रहस्यों से भरी जगह इसलिए कहते हैं, क्योंकि एक पहाड़ी इलाका है जो दूर-दूर तक घने जंगलों और दलदली इलाकों से भरा है। अब ऐसे में जंगल के बीच में लाखों मूर्तियों का निर्माण कैसे किया गया होगा, क्योंकि इसमें तो सालों लग जाते और पहले तो इस इलाके के आसपास कोई रहता भी नहीं था। यह लंबे समय से शोध का विषय बना हुआ है। हालांकि अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ सका है।
मंदिर में पत्थरों पर उकेरी गई और पत्थरों को काटकर बनाई गई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के बारे में कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। इनमें से एक कथा भोलेनाथ से जुड़ी है। कहते हैं कि एक बार भगवान शिव समेत एक करोड़ देवी-देवता कहीं जा रहे थे। रात हो जाने की वजह से बाकी के देवी-देवताओं ने शिवजी से उनाकोटी में रूककर विश्राम करने को कहा। शिवजी मान गए, लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सूर्योदय से पहले ही सभी को यह स्थान छोड़ देना होगा। लेकिन सूर्योदय के समय केवल भगवान शिव ही जाग पाए, बाकी के सारे देवी-देवता सो रहे थे। यह देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और श्राप देकर सभी को पत्थर का बना दिया। इसी वजह से यहां 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं, यानी एक करोड़ से एक कम।
भोलेनाथ के देवी-देवताओं को दिए गए शाप के अलावा एक और कथा मिलती है। इसके अनुसार कालू नाम का एक शिल्पकार था, जो भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत जाना चाहता था, लेकिन यह संभव नहीं था। हालांकि शिल्पकार की जिद के कारण भगवान शिव ने उससे कहा कि अगर एक रात में एक करोड़ देवी-देवताओं की मूर्तियां बना दोगे तो वो उसे अपने साथ कैलाश ले जाएंगे। यह सुनते ही शिल्पकार जी-जान से अपने काम में लग गया और तेजी से एक-एक कर मूर्तियों का निर्माण करने लगा। उसने पूरी रात मूर्तियों का निर्माण किया, लेकिन जब सुबह गिनती की गई तो पता चला कि उसमें एक मूर्ति कम है। इस वजह से उस शिल्पकार को भगवान शिव अपने साथ नहीं ले गए। मान्यता है कि तभी इस मंदिर की स्थापना हुई और यह मंदिर उनाकोटी कहलाया जाने लगा।
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