पुराने समय में लोग दांतों की सफाई के लिए एक चबाने वाली लकड़ी का प्रयोग करते थे। प्राचीन बेबीलोनिया में लगभग 3000-3500 ईसा पूर्व में इसका उपयोग किया जाता था। मिस्र की सभ्यताओं में इस चबाने वाली लकड़ी में एक और एक पंख की डंडी हुआ करती थी। इसका उपयोग दांतों को साफ करने के लिए किया जाता था। भारत में भी प्राचीन काल में नीम के पेड़ की टहनियों का इस्तेमाल टूथब्रश के तौर पर होता था।
1498 में राया था ब्रश का पेटेंट
1498 में 26 जून को चीन के राजा ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था। यहीं से ब्रश का इतिहास माना जाता है। पहला टूथब्रश जानवर के बालों से बना था, जो किसी हड्डी या बांस के टुकड़ों पर लगे होते थे। 1938 में जानवरों के बाल के बजाय नाइलोन के ब्रिस्टल इस्तेमाल होने लगे। 1939 में स्विस इलेक्ट्रिक टूथब्रश आया।
1950 के दशक तक टूथब्रश ने आज के जैसा आकार ले लिया। अधिक तकनीकी प्रगति ने टूथब्रश को और भी विकसित करना संभव बना दिया। 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने इलेक्ट्रिक टूथब्रश की शुरुआत की।
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