नई दिल्ली। बॉलीवुड में नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उधोग में अभिनय का बेताज बादशाह कहा जाए तो गलत नही होगा। नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सुबूत है, कि उन्होने आर्ट फिल्म से लेकर कामर्शियल फिल्म में काम करके अपने अभिनय की एक अलग छाप छोड़ी है। नसीर का नाम यदि पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की लिस्ट में शामिल हुआ है तो दूसरी ओर बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने हर तरह की फिल्मों में काम किया है। उनकी फिल्मों की तरह उनका जीवन भी काफी दिलचस्प है।
20 जुलाई 1949 को बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) में जन्में नसीर रईस खानदान में रहकर पले-बढ़े थे। नसीरुद्दीन ने अपनी पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की थी। इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया था।और फिल्मों में काम करने के लिए वो एफटीआईआई, पुणे आए थे
एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन ने अपने पुराने दिनों से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि जब वे ओमपुरी के साथ एफटीआईआई में पढ़ रहे थे, तब उन्हें एक फिल्म में काम करने का मौका मिला था। जिसमें उनके अपोजिट रोल में शबाना आजमी थी। लेकिन शबाना आजमी ने मेरे साथ फिल्म में काम करने से मना कर दिया था।
एक्टर ने बताया कि शबाना को जब मेरी फोटो दिखाई गई तो उन्हें मेरी शक्ल अच्छी नहीं लगी थी, इस वजह से वो इस फिल्म में काम करना नहीं चाहती थीं। हालांकि, बाद में वे कई फिल्मों में साथ नजर आए थे।
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नसीर का जीवन भी एक फिल्मी कहानी की तरह था जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए। उनकी पहली शादी मनारा सीकरी से हुई थी, उनकी एक बेटी हीबा शाह के पैदा होने के बाद उनके बीच तलाक हो गया। इसके बाद उनके जीवन में एक्ट्रेस रत्ना पाठक की एंट्री हुई। कई सालों तक रिलेशनशिप में रहने के बाद उन्होंने शादी कर ली थी। इस रिश्ते से उनके दो बेटे हैं।
नसीर ने अपने करियर में कई शानदार फिल्में की है जिनमें ऑल टाइम बेस्ट कॉमेडी फ़िल्मों में शुमार 'जाने भी दो यारों' सबसे हिट फिल्म रही है। इसके बाद मासूम, कर्मा, जैसी फिल्मों में नसीर ने कमाल की अदाकारी से ना केवल वो रातों रात छा गए बल्कि फ़िल्म भी सुपरहिट साबित हुई इस बाद नसीर एक बड़े स्टार के रूप में याद किए जाने लगे। बेहतरीन अदाकारी और सिनेमा में अपने योगदान के लिए, भारत सरकार की ओर से उन्हे पद्म श्री और पद्म भूषण अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
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