पॉर्न क्या है?
पोर्नोग्राफी को शॉर्ट में पॉर्न कहते हैं. ऐसे वीडियो, मैग्जीन, बुक्स या अन्य सामग्री जिनमें सेक्शुअल कंटेंट होता है और जिनसे व्यक्ति की सेक्स की भावना बढ़ती है. पॉर्न वीडियो को आम बोलचाल में ‘ब्लू फिल्म’ भी कहते हैं. जिन लोगों को पॉर्न या ब्लू फिल्म बोलने में हिचक होती है, वो इन्हें ‘ऐसी-वैसी’ फिल्में कहते हैं.
एक जमाना था जब सिंगल स्क्रीन वाले थियेटरों में कभी-कभी लगने वाली भूतिया या डकैतों वाली फिल्मों में एक्सटेंडेड सॉफ्ट पॉर्न सीन हुआ करते थे, जिन्हें देखने वास्ते लोग टिकट खरीदते थे. उस जमाने में भी लोग इस तरह के ‘पॉर्न’ के शौकीन थे. पहले जब रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर ‘लुगदी साहित्य’ बिका करता था, तब भी लोग ‘मस्तराम’ की लिखी किताबें तलाश कर ही लिया करते थे. अब तो इंटरनेट का जमाना है. हर हाथ में स्मार्ट फोन है. VPN है. जाहिर है अधिकतर लोगों के पास सॉफ्ट से लेकर फुल फ्लेज्ड पॉर्न का एक्सेस है.
फुल फ्लेज़्ड पॉर्न किसे माना जाता है?
अब किताबें, लुगदी साहित्य, एक्सटेंडेड सॉफ्ट पॉर्न आदि शब्द सुन कर आप सोच रहे होंगे कि इसमें और फुल फ्लेज़्ड पॉर्न में क्या अंतर है. ये अंतर ठीक वैसा ही है जैसे पुरानी और अब की फिल्मों के किसिंग सीन. बीते जमाने के निर्देशक किसिंग दिखाने के लिए दो फूलों का आपस में टकराना फिल्माते थे. या परछाइयों के जरिये चुंबन दिखाते थे. बाद में शीशे के दोनों ओर से चुंबन दिखाया गया. वक्त आगे बढ़ा तो नायक-नायिका के चुंबन के बीच साड़ी का पल्लू आ गया. लेकिन अब ये चुंबन एक्स्ट्रा इंटिमेसी के साथ सीधे दिखा दिया जाता है. इन सबसे इंसान की काम उत्तेजना थोड़ी बढ़ती है. दर्शकों को सिनेमा तक खींचने के लिए भी इन तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
लेकिन फुल फ्लेज्ड पॉर्न फिल्में किसी मल्टीप्लेक्स में नहीं लगतीं. कारण, इस तरह के पॉर्न में सेक्स को साफ-साफ दिखाया जाता है. वीडियो में सेक्शुअल कंटेंट का प्रेजेंटेशन ऐसा होता है कि वो देखने वाले की उत्तेजना को हल्का सा नहीं बढ़ाता, बल्कि उसे बुरी तरह पुश करता है. इसलिए ऐसे पॉर्न को हमेशा निजी रूप से छिप-छिपाकर देखा जाता है. पहले लोग सीडी या पेन ड्राइव के जरिए पॉर्न देखते थे. अब तेज इंटरनेट की मदद से मोबाइल पर पॉर्न उपलब्ध है. बिल्कुल निजी और पर्सनल स्पेस में.
कई देशों में फुल फ्लेज्ड पॉर्न दिखाने की अनुमति है. लेकिन जहां जापान जैसे देशों में अभी भी इंसानी जननांगों को ब्लर किया जाता है, वहीं अमेरिका में दिखाए जाने वाले पॉर्न में कुछ भी धुंधला नहीं किया जाता.
पॉर्न प्रोवाइड कराने वाली वेबसाइटों पर आपको हर देश और हर तरह के सेक्स वीडियो मिल जाएंगे. बूढ़ा, जवान, मोटा, पतला, सिंगल, सामूहिक, जैसा चाहें वैसा पॉर्न आपके लिए इन वेबसाइटों पर उपलब्ध रहता है. यहां तक कि वेबसाइट के सर्च ऑप्शन में धर्म संबंधी पॉर्न भी ढूंढेंगे तो मिल जाएगा. उसका किसी धर्म से लेना-देना नहीं होता. वीडियो बनाने वाले सेक्स को किसी भी तरह से पेश कर देते हैं. और हां, ये वेबसाइटें या ऐप आपकी लोकेशन भी ट्रेस करते हैं और आपको अपने देश के पॉर्न वीडियो दिखाते हैं.
भारत में पॉर्न को लेकर क्या नियम-कानून हैं?
भारत में पॉर्न बनाने, बेचने, शेयर करने, इसके प्रदर्शन आदि पर बैन है. इसके बावजूद भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक पॉर्न देखने वाला देश है. साल 2018 में आई एक खबर के मुताबिक, 2017 से 2018 के बीच भारत में पॉर्न देखने की दर में 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी. छोटे शहरों के लोग काफी अधिक संख्या में इसे देख रहे हैं.
2018 में भारत सरकार ने करीब 850 पॉर्न वेबसाइटों पर बैन लगा दिया था. ऐसा पहले भी किया गया है. लेकिन इसका कोई खास प्रभाव कभी पड़ा नहीं. ये वेबसाइटें नए-नए डोमेन लेकर भारतीय बाजार में आ जाती हैं. अब तो ऐप्स के जरिए, वॉट्सऐप के जरिए, टेलीग्राम के जरिए और भी जाने कैसे-कैसे तरीकों से यूजर इनको देख ही लेता है. और VPN तो है ही. यानी भारतीय सर्वर की जगह विदेशी सर्वर पर वीडियो देख लिए जाते हैं. तो ये नहीं कह सकते कि वेबसाइटों पर बैन लगाने के बाद भारत में पॉर्न वीडियो नहीं देखे जा रहे.
फिर भी नियम-कानून की जानकारी होना जरूरी है. पॉर्न बनाने पर बैन के अलावा हमारे देश में इसे प्रकाशित करना, प्रसारित करना और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूसरे लोगों तक पहुंचाना अवैध है. लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं माना जाता. हां, चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना भी गैरकानूनी है.
Lawtrend.in पर प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, पॉर्न को रोकने के लिए भारत में एंटी पोर्नोग्राफी लॉ है. पॉर्न से जुड़े मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67(ए) और IPC की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के अंतर्गत सजा का प्रावधान है.
“पॉर्न का कंटेंट रेप या शारीरिक शोषण वाला है तो IT ऐक्ट, सेक्शन 67ए के तहत कार्रवाई होगी. चाइल्ड पॉर्न सर्कुलेट करने वाले के खिलाफ IT ऐक्ट की धारा 67बी के तहत कार्रवाई होगी. अगर कोई किसी के सेक्स करने या सेक्शुअल एक्टिविटी का वीडियो बनाता है तो ये क्राइम है. इसमें IT ऐक्ट के सेक्शन 66ई के तहत कार्रवाई होगी.”
कितनी सजा हो सकती है?
एडवोकेट आलोक शर्मा के मुताबिक, “IT ऐक्ट की धारा 67 ए के तहत अपराध की गंभीरता को देखते हुए पहले अपराध के लिए 5 साल तक जेल की सज़ा या/और दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार यही अपराध करने पर जेल की सजा की अवधि बढ़कर 7 साल हो जाती है. जुर्माना 10 लाख ही रहता है.”
सीनियर लॉयर ने आगे बताया, “चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के मामले में सेक्शन 67बी के तहत पहले अपराध पर 5 साल तक जेल की सजा या/और दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है. वहीं दूसरी बार यही अपराध करने पर जेल की अवधि 7 साल हो जाती है. जुर्माने की राशि 10 लाख तक ही रहती है.”
IT ऐक्ट की धारा 67ए और 67बी गैर-ज़मानती हैं. ये भी बता दें कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामले में POCSO कानून के तहत भी कार्रवाई होती है.
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