प्यार दो दिलों का मेल है लेकिन आजकल प्यार की उम्र कुछ लोगों के लिए बहुत कम होती है। शादी के कुछ दिन बाद ही बात तलाक तक पहुँच जाती है। देश में तलाक के दो तरीके हैं, एक तो आपसी सहमति से तलाक और दूसरा एकतरफा अर्जी लगाना। पहले तरीके में दोनों की राजी-खुशी से संबंध खत्म होते हैं। आपसी सहमति से तलाक में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना होता है।
पहले जान लें तलाक ये नियम
पति या पत्नी में से एक अगर आर्थिक तौर पर दूसरे पर निर्भर है तो तलाक के बाद जीवनयापन के लिए सक्षम साथी को दूसरे को गुजारा भत्ता देना होता है। इस भत्ते की कोई सीमा नहीं होती है।
बच्चों की कस्टडी भी एक अहम मसला है। चाइल्ड कस्टडी शेयर्ड यानी मिल-जुलकर या अलग-अलग हो सकती है। एक पेरेंट भी बच्चों को संभालने का जिम्मा ले सकता है। अगले पक्ष को उसकी आर्थिक मदद करनी होती है।
आपसी सहमति से तलाक की अपील तभी संभव है जब पति-पत्नी सालभर से अलग-अलग रह रहे हों। पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है।
दूसरे चरण में दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है। तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वे अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें।
कई बार इसी दौरान मेल हो जाता है और घर दोबारा बस जाते हैं। छह महीने के बाद दोनों पक्षों को फिर से कोर्ट में बुलाया जाता है। कोर्ट अपना फैसला सुनाती है और रिश्ते के खत्म होने पर कानूनी मुहर लग जाती है।
पति अगर बलात्कार या अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता हो, पहली पत्नी से तलाक लिए बगैर दूसरी शादी की हो या फिर युवती की शादी 18 वर्ष के पहले कर दी गई हो तो भी शादी अमान्य की जा सकती है।
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