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ममता बनर्जी ने जावेद अख्तर से की चुनावी नारे 'खेला होबे' पर गीत लिखने की अपील


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नयी दिल्ली। गीतकार-लेखक जावेद अख्तर और अभिनेत्री शबाना आज़मी ने बृहस्पतिवार को यहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए कहा कि बंगाल ने हमेशा क्रांतिकारी आंदोलनों का नेतृत्व किया है। उन्होंने बनर्जी से मुलाकात कर, कलाकारों को रॉयल्टी देने का आश्वासन देने वाले विधेयक का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।

मुलाकात के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रसिद्ध गीतकार-कवि जावेद अख्तर से उनके चुनावी नारे "खेला होबे" ​​पर एक गीत लिखने का अनुरोध किया। ममता बनर्जी दिल्ली की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। बनर्जी से मिलने के बाद, कवि ने कहा कि देश में एक परिवर्तन (परिवर्तन) होना चाहिए और यह बंगाल का इतिहास है कि राज्य ने क्रांतिकारी आंदोलनों का नेतृत्व किया था। अपनी मुलाकात के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए अख्तर ने कहा, "यह एक विनम्र बैठक थी। यह बंगाल का इतिहास है कि इसने क्रांतिकारी आंदोलनों का नेतृत्व किया था। बंगाल के कलाकार और बुद्धिजीवी ममता जी का समर्थन करते हैं। हमने उन्हें उनकी जीत पर बधाई दी। हम उनके आभारी हैं ममता जी को रॉयल्टी बिल में संशोधन में उनके समर्थन के लिए ताकि संगीतकार, गीतकार, गीतकार रॉयल्टी से लाभान्वित हो सकें।"

 जावेद अख्तर ने कहा कि बंगाल ऐतिहासिक रूप से हमेशा क्रांतिकारी आंदोलनों में एक कदम आगे रहा है और यही कारण है कि राज्य में कलाकार और बुद्धिजीवी बनर्जी के साथ खड़े रहे। यह पूछे जाने पर कि क्या बदलाव की जरूरत है, तो अख्तर ने कहा, मैं सभी के लिए नहीं कह सकता लेकिन व्यक्तिगत रूप से, मुझे लगता है कि परिवर्तन होना चाहिए। देश में अभी कई तनाव हैं, ध्रुवीकरण का मुद्दा है, कई लोग आक्रामक बयान देते हैं... हिंसा की घटनाएं होती हैं। यह शर्म की बात है कि दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए। ये चीजें नहीं होनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या बनर्जी को भाजपा के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करना चाहिए, अख्तर ने कहा कि उनके साथ चर्चा के दौरान उन्होंने कभी नहीं कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा विपक्षी मोर्चे की नेता बनने की है।

अख्तर ने कहा, हालांकि, वह परिवर्तन में विश्वास करती हैं। वह पहले बंगाल के लिए लड़ी थीं, अब वह भारत के लिए लड़ना चाहती हैं। महत्वपूर्ण सवाल यह नहीं है कि कौन नेतृत्व करेगा और कौन नहीं। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आप किस तरह का भारत चाहते हैं और आप किस तरह की परंपरा, माहौल, स्वतंत्रता और लोकतंत्र चाहते हैं? हमें गर्व है कि हमारे पास लोकतंत्र है लेकिन हमें इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए... लोकतंत्र एक सतत प्रक्रिया है। यह स्थिर नहीं है, यह गतिशील है। गीतकार से जब चर्चा में आए खेला होबे (खेल होगा) नारे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नारे को अब किसी समर्थन की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, अब यह चर्चा से आगे निकल चुका है। अख्तर के बोलते समय चुपचाप खड़ीं बनर्जी ने चुटकी लेते हुए कहा, खेला होबे से आपको एक गान बनाना है। बनर्जी सोमवार को पांच दिवसीय दौर पर दिल्ली आई थीं। विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद यह उनका पहला दिल्ली दौरा है।


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