ईद मुस्लिम समाज में सबसे बड़ा त्योंहार माना जाता है। इस दिन मुस्लिम भक्त अपनी भक्ति को दर्शाते हैं और अपने विश्वास को भी दर्शाते हैं। अपने विश्वास को दर्शाने के लिए इस दिन मुस्लिम अपने पैगंबर को महान त्याग देते हैं। ईद-उल-अजहा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पैगंबर को खुश करने के लिए बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी देते हैं।
क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी:
‘इब्राहिम अलैय सलाम नाम का एक आदमी था जिसकी कोई भी संतान नहीं थी। उसने काफी मन्नतें मांगी और उसके बाद उसके घर में एक लड़के का जन्म हुआ। एक दिन इब्राहिम ने अपने सपने में अल्लाह को देखा जिन्होंने उनसे कहा कि तुम्हे दुनिया में जो भी चीज़ सबसे प्यारी है उसकी कुर्बानी दे दो।
इब्राहिम ने अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की बलि देने के लिए जैसे ही छुरी चलाई वैसे ही एक फ़रिश्ते ने उनके बेटे को हटाकर वहां एक मेमना रख दिया। उसके बाद से ही उस दिन को ईद-उल-अजहा नाम से पुकारा जाने लगा और बकरे की कुर्बानी दी जाने लगी।
Post A Comment:
0 comments: