टेलीविज़न, थिएटर, गाना, प्रॉडक्शन हाउस… मल्टी टैलेंटेड मानसी पारेख को ऑल राउंडर कहना ग़लत नहीं होगा, लेकिन मानसी की लव स्टोरी बहुत दिलचस्प है. आखिर मानसी ने पहली मुलाक़ात में अपने पति को अंकल क्यों कहा था? ये किस्सा बड़ा मज़ेदार है.
हां, मैंने अपने पति पार्थिव को अंकल कहा था
मानसी पारेख ने अपनी लव स्टोरी के बारे में बताते हुए कहा, “पार्थिव से मेरी पहली मुलाक़ात बहुत दिलचस्प है. हुआ यूं कि पार्थिव सारेगामा गुजराती की एंकरिंग कर रहे थे (इससे पहले पार्थिव सारेगामाप हिंदी के विनर थे) और मैं कंटेस्टेंट थी. तब मैं सोलह साल की थी और दसवीं में पढ़ रही थी. अपने से बड़े व्यक्ति को अमूमन हम अंकल ही कहते हैं, इसलिए मैंने भी पार्थिव को अंकल कह दिया. शो के बाद पार्थिव मेरे पास आए और बोले, मैं इतना भी बड़ा नहीं हूं कि तुम मुझे अंकल बोलो. तब मुझे कहां पता था कि मुझे पार्थिव से ही प्यार हो जाएगा. उसके बाद पार्थिव और मैंने कई शो साथ में किए. साथ काम करते हुए कब प्यार हो गया, पता ही नहीं चला.”
प्यार का इज़हार भी मैंने ही किया था
अपनी लव जर्नी के बारे में बताते हुए मानसी पारेख ने बताया, “साथ काम करते-करते मुझे पार्थिव इतने अच्छे लगने लगे कि मैं ये महसूस करने लगी कि उनके साथ मैं अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार सकती हूं. बस, मैंने बिना लाग-लपेट के अपने दिल की बात उनसे कह दी. फिर प्यार का सिलसिला बढ़ा और हमने शादी कर ली. अब हमारी शादी को 15 साल हो गए हैं और हमारी बेटी भी अब बड़ी हो रही है. पता ही नहीं चला, व़क्त कितनी जल्दी गुज़र गया. मैं बहुत ख़ुशनसीब हूं कि मुझे पार्थिव जैसा जीवनसाथी मिला. आज मैं करियर में जिस भी मुकाम पर हूं, उसमें पार्थिव का बहुत बड़ा रोल है. पार्थिव बहुत सपोर्टिव हैं, हर काम में मेरा साथ देते हैं.”
कम उम्र में शादी के फ़ायदे हैं बहुत
अपनी शादी के बारे में बताते हुए मानसी ने बताया, “मेरी शादी 21 साल में हो गई थी. इसका फ़ायदा ये हुआ कि मैं परिस्थितियों के साथ आसानी से ढल गई. बड़ी उम्र में शादी होने पर ऐसा नहीं हो पाता, तब हम चीज़ों को अपने नज़रिए से देखने लगते हैं. मैंने कम उम्र में ही जीवन के बहुत सारे अनुभव ले लिए हैं इसलिए मेरी जिन सहेलियों की अभी-अभी शादी हुई है या जिन्होंने अब तक शादी नहीं की, उनसे मेरा अनुभव कहीं ज़्यादा है. आज मैं अपना घर और करियर दोनों बख़ूबी संभाल रही हूं. पार्थिव और मैं ख़ूब काम करते हैं, घर-बाहर की ज़िममेदारियां, सुख-दुख बांटते हैं… ज़िंदगी से और क्या चाहिए?”
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