अक्सर हम देखते हैं कि जिन्दा इंसान को हमारे यहां कई अधिकार दिए गए है लेकिन शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि जिन्दा ही नहीं मृत शरीर के भी कई अधिकार हैं, जिसमें सम्मान से अंतिम संस्कार समेत कई दूसरी बातें शामिल हैं। उसके पास सम्मान से जीने, रहने और मौत के बाद भी सम्मान से अंतिम संस्कार का हक होता है। भारत में बीते कुछ सालों में शवों से यौन हिंसा जैसी घटनाएं बढ़ीं।
'डेड बॉडी' को भी हैं ये क़ानूनी अधिकार
हमारे यहां भी ऐसे कई कानून बनाये गए है जिससे उनके अभिकारों की रक्षा होती है। आईपीसी की धारा 377 में अननेचुरल सेक्स के लिए सजा दी जा सकती है। वहीं आईपीसी के सेक्शन 297 के तहत मौत के बाद किसी का उसकी आस्था या धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार न होने पर सजा का प्रावधान है।
अगर मृतक के शरीर से छेड़छाड़ हो या अंतिम संस्कार में बाधा डालने की कोशिश हो तो भी एक साल की कैद और जुर्माने का नियम है। भारत में सेक्शन 21 के तहत मृतक के सारे अधिकार आते हैं। इसमें सबसे जरूरी हिस्सा ये है कि मृतक को हर हाल में गरिमा से इस दुनिया से आखिरी विदा मिलनी चाहिए।
बेघर और अनाम मृतकों के लिए भी कानून यही नियम लागू करता है कि अगर उसके शरीर या कपड़ों से धर्म की पहचान हो सके, तो उसी मुताबिक अंतिम क्रिया हो। अगर उसे दफनाया गया हो तो उसकी कब्र के साथ कोई छेड़खानी नहीं होनी चाहिए, जब तक कि खुद कोर्ट किसी संदिग्ध मामले की जांच के लिए ऐसा आदेश न दे।
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