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गाने फाइनल करने से पहले किन्नरों की राय लेते थे राज कपूर


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मुंबई। बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज फिल्ममेकर राज कपूर ने न केवल शानदार फिल्में बनाई बल्कि एक से बढ़कर एक यादगार गाने भी फिल्मों के जरिए दर्शकों तक पहुंचाए। भले ही इन गानों को लिखने और संगीत देने की मेहनत इस क्षेत्र के जानेमाने लोग करते हों, लेकिन राज कपूर इनके अलावा किन्नरों से भी गाने अप्रूव करवाते थे। आइए जानते हैं इस परम्परा को शुरू करने की क्या वजह थी—

किन्नर करते थे गाने अप्रूव
रिपोर्ट्स के अनुसार, राज कपूूर की मूवी का कोई गाना चाहे हिट हो या फ्लॉप, वे गानों को फिल्म में लेने से पहले किन्नरों से अप्रूव करवाते थे। कहा जाता है कि फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' का एक गाना किन्नरों को अच्छा नहीं लगा। राज कपूर ने इस गाने को संगीतकार रवीन्द्र जैन को वापस कर दिया और नया गाना बनाने के लिए कहा। नए गाने के रूप में रवीन्द्र जैन ने 'सुन साहिबा सुन' गाना बनाया। इस गाने को भी राज कपूर ने फिर से किन्नरों को टेस्टिंग के लिए दिया। ये गाना सुनकर किन्नर संतुष्ट हो गए। कहा जाता है कि किन्नरों ने इस गाने पर राज कपूर से कहा था कि देखना ये गाना सालों चलेगा। असल में ऐसा ही हुआ। आज भी ये गाना लोग सुनते हैं और पुराने संगीत की दाद दिए बिना नहीं रहते।

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होली पार्टी में भी शामिल होते थे किन्नर
गौरतलब है कि राज कपूर की होली पार्टी बॉलीवुड में बहुत फेमस थी। आर के स्टूडियो में आयोजित होने वाली इस होली पार्टी में बॉलीवुड के करीब-करीब सभी सितारे शामिल होते थे। कहा जाता है कि इस पार्टी में किन्नर भी शामिल होते थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, किन्नर इस पार्टी में हमेशा सबसे आखिर में आते थे और राज कपूर को रंग लगाते और नाच-गानाकर चले जाते थे।

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गौरतलब है कि राज कपूर को भारतीय सिनेमा जगत का 'ग्रेटेस्ट शौमेन कहा जाता था। उन्हें 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। 1951 में आई फिल्म 'आवारा' और 1954 में रिलीज फिल्म 'बूट पॉलिस' को कान्स फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन पॉम पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। 'आवारा' में उनकी अदाकारी को टाइम मैगजीन ने सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस की टॉप 10 सूची में शामिल किया गया था।


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