नई दिल्ली। फिल्मों की चकाचौंध से सभी वाकिफ हैं। कुछ लोग इस चकाचौंध का हिस्सा बनने के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं। लेकिन सफलता हर किसी के हाथ नहीं लगती। वहीं इंडस्ट्री के कुछ ऐसे अभिनेताओं के बारें में आज हम आपको बताएंगे। जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बनाने के लिए सारे ऐशो आराम को छोड़कर स्ट्रगल को गले लगाया। यही नहीं सरकारी नौकरी तक को एक्टिंग के लिए अलविदा कह दिया। वहीं बॉलीवुड के एक मशहूर अभिनेता ने तो अपनी पुलिस की नौकरी को भी छोड़ दिया था। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही गजब के कलाकारों के बारें में।
देव आनंद
हिंदी सिनेमा जगत में अपने अनोखे अंदाज से दर्शकों का दिल जीतने वाले देव आनंद हीरो से पहले एक सरकारी कर्मचारी थे। जी हां, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उस जमाने में देव आनंद ने अपने सपनों के लिए अपनी सरकारी नौकरी का त्याग कर दिया था और महज 30 रुपए लेकर वह मुंबई आ गए थे। मुंबई आने के बाद देव आनंद तक रहने की ना तो कुछ छत थी। ऐसे में उन्होंने एक रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में एक सस्ता से रूम ले लिया। काफी लंबे समय तक अभिनेता खाली ही घूमते रहे। जिसके बाद उन्होंने नौकरी करने का विचार किया। इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाने के लिए उन्हें काफी कोशिशों के बाद मिलिट्री सेंसर ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिली। इस नौकरी के दौरान उन्हें 165 रुपए मिलते थे।
राज कुमार
'जानी' तकिया कलाम से दर्शकों के दिलों में आज भी अभिनेता राज कुमार जिंदा है। सालों बाद भी उनके डायलॉग लोगों की जुंबा से सुनने को मिलते हैं। यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि जब भी राज कुमार बड़े पर्दे पर आते थे तो अपनी एक्टिंग से आग लगा देते थे। वैसे आपको बता दें राज कुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित था और उनको घर में प्यार से जानी बुलाया जाता था। वहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक अभिनेता से पहले वह राज कुमार पहले मुंबई पुलिस में इंस्पेक्टर की पोस्ट पर थे। वहीं साल 1952 में उन्होंने मुंबई पुलिस की नौकरी को छोड़ फिल्मी दुनिया में कदम रख लिया। राज कुमार की पहली फिल्म 'रंगीली' थी।
शिवाजी सातम
एसीपी प्रदयुमन टीवी के सुपरस्टार बन गए हैं। उनका डायलॉग 'कुछ तो गड़बड़ है' बच्चे-बच्चे की जुंबा पर हैं। एसीपी प्रदयुमन के नाम से मशहूर अभिनेता शिवाजी सातम फिल्मों में भी अपना जलवा दिखा चुके हैं। उन्होंने नायक और जिस देश में गंगा बहती है। जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपने किरदार से सबका दिल जीत लिया था। वैसे आपको बता दें फिल्मी दुनिया में आने से पहले शिवाजी एक सरकारी बैंक में काम करते थे। वहीं साल 1987 'पेस्टनजी' से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की।
जॉनी वॉकर
'सिर जो तेरा चकराए' गाना आज भी जो सुनता है। उसके दिलों और दिमाग में बस एक्टर जॉनी वॉकर का ही चेहरा सामने आता है। एक्टर जॉनी वॉकर का वैसे असली नाम बदरुद्दीन काजी था। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। यही नहीं उनके पिता एक फैक्ट्री में मजदूर का काम करते थे। फैक्ट्ररी बंद हो जाने के बाद जॉनी वॉकर ने बस में कंडक्टर की नौकरी करना शुरू कर दिया। इस बीच उनकी बस में एक बार फिल्म निर्देशक बलराज साहनी पहुंचे। जहां उनकी नज़र जॉनी वॉकर पर पड़ी और उन्होंने तुरंत गुरु दत्त को बताया। जिसके बाद गुरु दत्त ने अफनी फिल्म में बाजी में एक शराबी का रोल दिया। उनकी एक्टिंग गुरु दत्त के साथ-साथ दर्शकों को भी खूब पसंद आया।
अमरीश पुरी
'मोगैम्बो' के नाम से मशहूर एक्टर अमरीश पुरी ने एक हीरो के रूप में नहीं बल्कि एक विलेन के रूप में बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई। वहीं एक्टर बनने से पहले वह एक बीमा निगम में कर्मचारी थे। वह वहां पर बतौर क्लर्क काम किया करते थे। उन्होंने 21 साल तक सरकारी नौकरी की और फिर उन्होंने फिल्मों के लिए सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया। अमरीश पुरी की साल 1971 में पहली फिल्म 'रेशमा' और 'शेरा' रिलीज हुई थी। आपको बता दें अमरीश पुरी दिल वाले दुल्हनिया, चाची 420, गदर, घातक और गदर जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
Post A Comment:
0 comments: