वास्तु शास्त्रों के अनुसार मोर पंख का खास महत्व है। देवराज इंद्र को मोरपंख का सिंहासन भाता है, भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने मुकुट पर मोरपंख को सजाया। यहां तक कि पौराणिक काल में महर्षियों ने मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथों की रचना की। प्राचीन काल से ही मोर के पंखों का इस्तेमाल कई तरह के कामों के लिए किया जाता रहा है।
मोर पंख का महत्व:
# मोर का पंख किसी भी स्थान को बुरी शक्तियों और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचाकर रखने की क्षमता रखता है। इसलिए मोर के पंखों को घर में लगाना चाहिए जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
# मोर के पंख का इस्तेमाल करके भूत-बाधा, नज़र दोष, रोग मुक्ति, ग्रह दोष, वास्तु दोष जैसी समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है।
# मोर का पंख पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होता है। विद्यार्थी पुस्तकों के बीचों-बीच अभिमंत्रित मोर पंख रख कर लाभ उठा सकते हैं।
# नव ग्रहों की खराब दशा से बचने के लिए भी मोर का पंख आपकी मदद कर सकता है। घर में अलग अलग स्थान पर मोर का पंख रखने से घर का वास्तु दोष दूर होता है।
# मोर के पंख का उपयोग रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है। मोर के पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का इलाज किया जा सकता है।
# कालसर्प दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है। कालसर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खोल के अंदर 7 मोर के पंख सोमवार की रात को रखना चाहिए और उसी तकिए पर सोना चाहिए।
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