ज्योतिष की मान्यता है कि हर दिन और माह की एक विशेष प्रकृति होती है। इस दौरान जब भी किसी जातक का जन्म होता है तो उसके गुण-दोषों में माह और दिन का भी योगदान होता है। फरवरी माह के साथ भी ऐसा ही है।
फरवरी में पैदा होने वाले जातकों पर शनि की राशि कुम्भ का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। चूंकि कुम्भ राशि के स्वामी शनि होते हैं, जिनकी यह दूसरी राशि होती है। यह राशि पुरुष जाति की स्थिर संज्ञक विचित्र वर्ण व त्रिदोष प्रकृति की होती है। प्राकृतिक रूप से यह राशि विचारशील व शांतचित्त वाली है।
ऐसे जातक आत्म-नियंत्रक होते हैं। शांत चित्त व अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं। धीरे-धीरे प्रगति के पथ पर बढ़ते हैं व अपने कार्य क्षेत्र में एक विशेष मुकाम हासिल करते हैं। घर के बाहर ये असीम प्रसिद्ध हासिल करते हैं पर अपने ही घर व अपने लोग इन्हें इतनी मान्यता नहीं देते हैं। पर ये बात इन्हें अपने लक्ष्य से कभी दूर नहीं करती है।
आर्थिक मामलों में ये ज्यादा संपन्न नहीं होते हैं पर अपनी जिम्मेदारियों से कुछ अधिक ही अर्जन करते हैं। प्रसिद्ध के अनुसार पैसे वाले नहीं होते। इन्हें अपने लक्ष्य के प्रति सनकी कहा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि इन्हें अपने कार्य के सामने ये निजी या सामाजिक कार्यों का त्याग भी करना पड़े तो ये बिना परवाह के कर गुजरते हैं।
इनकी सबसे बड़ी कमी यह रहती है कि इनमें धैर्य का अभाव रहता है। यदि इस बात पर वे नियंत्रण कर लें तो उनके कई काम बिना किसी रुकावट के पूरे हो सकते हैं।
फरवरी में पैदा होने वाले जातक की कुंडली में गुरु या शनि विपरीत होने पर लीवर, आंत व पैरों में तकलीफ होती हैं। ऐसे में इन जातकों को देवगुरु व शनि की आराधना करनी चाहिए। फरवरी माह में पैदा होने वाले जातक चूंकि मुस्कान के साथ आगे बढऩे की प्रेरणा के साथ जीने वाले होते हैं। अत: असफलता इन्हें कम ही देखने को मिलती है क्योंकि अपनी भीतरी शक्ति का ये भरपूर उपयोग करते हैं जिसके दम पर ये असफलता के दौर को सहजता से पार कर जाते हैं।
इनकी विचारधारा मौलिक होती है व अपने दम पर अपना नाम रोशन करते हैं। दूसरे लोग इनके बारे में क्या कहते हैं, इसकी परवाह तो नहीं करते पर भविष्य में इन बातों का ध्यान जरूर रखते हैं कि उस मुद्दे पर किसी को अनावश्यक टीका-टिप्पणी करने का अवसर न मिले।
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