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चपरासी का काम करके पूरी की पढ़ाई और फिर रामानंद सागर ने बनायी ऐतिहासिक 'रामायण'


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लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर रामानंद सागर की 'रामायण' को एक बार फिर से प्रसारित किया गया। रामायण को लोगों ने इतना पसंद किया किया कि दूरदर्शन के इतिहास को बदल कर रख दिया। पहली बार दूरदर्शन की टीआरपी ने सभी चैनलों को पीछे छोड़ दिया। लॉकडाउन के दौरान लोग काफी लोग अपने परिवार के साथ घर पर थे। ऐसे में रामायण- महाभारत ने फिर से बचपन की याद दिला दी। 

एक नजरिये से देखा जाए तो तमाम तकनीक आने के बाद भी रामानंद सागर जैसी रामायण आज तक दूसरी नहीं बन सकी। आखिर क्या है इसका कारण कि रामानंद सागर जैसी रामायण आज तक क्यों नहीं बनीं? इसका सबसे बड़ा कारण है 'सच्चाई'। रामानंद सागर की रामायण मुख्य रूप से वाल्मीकि के रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस पर आधारित है। इसमें उन्होंने किसी भी तरह की कोई काट-छाट नहीं की। राम के सच्चे चरित्र को टीवी पर प्रस्तुत किया।

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इसके अलावा रामायण की दूसरी 'सच्चाई' इसकी कास्ट थी। रामायण के पात्र भले ही इस शो के बाद फिल्मों में सफल न रहे हो लेकिन जिस इमानदारी से और सच्चाई से कास्ट ने अभिनय किया था, ये चीज आज किरदारों में नजर नहीं आती। उस समय कोई तकनीक नहीं थी लेकिन नकली ग्राफिक्स के बाद भी रामायण पूरी तरह से असली थी। इसका पूरा क्रेटिड निर्देशक और कलाकारों पर जाता है। रामानंद सागर का शानदार निर्देशन और कलाकारों का साथ इस ऐतिहासिक शो को अनमोल बनाता है। 

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रामानंद सागर कौन थे? 

रामानंद सागर (29 दिसंबर 1917 - 12 दिसंबर 2005 ) का असली नाम  चंद्रमौली चोपड़ा था। मां के निधन के बाद चंद्रमौली को उनके मामा ने गौद ले लिया था जहां उनका नाम रामानंद सागर पड़ गया। मामा ने गौद तो ले लिया था लेकि इसके बावजूद उनका जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। रामानंद सागर को पढ़ने लिखने का काफी  शौख था। वह बहुत अच्छा लिखते थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए चपरासी से लेकर साबुन बेचने तक का काम किया। इन छोटे-मोटे कामों से वह जो कमाने उससे अपनी पढ़ाई करते थे। अपनी पढ़ाई पूरा करने के बाद वह  एक भारतीय फिल्म निर्देशक बने। वह रामायण टेलीविजन श्रृंखला बनाने के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय महाकाव्य का 78-भाग का टीवी रूपांतरण है, जिसमें अरुण गोविल ने भगवान राम और दीपिका चिखलिया ने सीता के रूप में अभिनय किया था।  इस टीवी धारावाहिक को तब पूरे देश में व्यापक रूप से देखा और पसंद किया गया था। भारत सरकार ने उन्हें 2000 में पद्म श्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। 


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