पार्श्व गायक एससी बालासुब्रमण्यम का शनिवार को चेन्नई में अंतिम संस्कार पूरे राजनकीय सम्मान के साथ किया गया। बालू के पार्थिव शरीर को सीमांत क्षेत्र के रेड हिल्स स्थित तमारैपक्कम फार्म हाउस में श्रौता शैव आराध्य परंपरा के अनुसार दफनाया गया। उसी के बाद से इंटरनेट पर लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं, कि हिन्दू रीति रिवाज़ के अंतर्गत उनका दाह संस्कार क्यों नहीं किया गया।
लोगों ने तमाम तरह के ट्वीट भी कर डाले, जबकि वास्तव में देखा जाए तो इसका कारण यह है कि बालासुब्रमणयम और उनका परिवार शैव संप्रदाय के हैं। हैदराबाद के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया कुमार ने प्रसार भारती से बातचीत में बताया कि एसपी बालासुब्रमण्यम के दादा ने शैव को अपनाया था। इसे अपनाने वाले लोगों का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। हालांकि दक्षिण भारत में कई अन्य वर्ग भी हैं, जिनके घरों में किसी की मृत्यु होने पर दाह संस्कार नहीं किया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कई दक्षिण भारतीय राज्यों में हिन्दुओं का कब्रिस्तान भी है, जहां हिन्दू रीती रिवाज के साथ दफनाया जाता है।
हालांकि बालासुब्रमण्यम के अंतिम संस्कार से जुड़े मिथकों को दूर करने के लिए मंगलम नाम के व्यक्ति ने ट्वीट भी किया।
कौन होते हैं शैव
जानकारी के अनुसार भगवान शिव तथा उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। शैव में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं। महाभारत में माहेश्वरों (शैव) के चार सम्प्रदाय बतलाए गए हैं- शैव, पाशुपत, कालदमन और कापालिक। शैवमत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में हैं। 12 रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए।
शिव से संबंधित धर्म को शैवधर्म कहा जाता है। इसमें शिवलिंग उपासना का प्रारंभिक पुरातात्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलता है। ऋग्वेद में शिव के लिए रुद्र नामक देवता का उल्लेख है। अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति और भूपति कहा जाता है। लिंगपूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में और महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है।
गौरतलब है कि कोरोना के संकट के चलते सरकारी दिशा निर्देशों के तहत बालू के अंतिम संस्कार में सिर्फ 150 लोगों को भाग लेने की अनुमति दी गई। अंतिम संस्कार में बालू की पत्नी सावित्री, उनके बेटे एसपी चरण और उनकी बहन शैलजा और कुछ अन्य परिजनों शामिल हुए। आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से मंत्री अनिल कुमार ने अंतिम संस्कार में भाग लिया। इस मौके पर फिल्म निर्देशक भरतीराजा और तेलुगु फिल्म जगत से जुड़े के संगीत निर्देशक देविस्टिप्रसद फार्म हाउस पर उपस्तिथि रहे।
इससे पूर्व शुक्रवार की शाम को बालासुब्रमण्यम का पार्थिव शरीर को कामराजनगर स्थित उनके निवास पर ले जाया गया और लोगों के दर्शनार्थ रखा था। पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किये।
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