अपनी रुमानी अदाओं से सिने दर्शकों को दीवाना बनाने वाली अभिनेत्री साधना 60 के दशक की सबसे खूबसूरत और बेहतरीन एक्ट्रेस थीं। साधना अभिनय से ज्यादा अपनी खास हेयर स्टाइल को लेकर पॉपुलर हुई। आज उनकी 79वीं जयंती है। उनका जन्म जन्म 2 सितंबर, 1941 को ब्रिटिश इंडिया में सिंध प्रांत के कराची शहर में हुआ था। इस अभिनेत्री का पूरा नाम साधना शिवदसानी था। आज गुजरे जमाने की इस बेहतरीन अदाकारा की जन्म जयंती पर जानते हैं उनके बारे में कई दिलचस्प बातें..
राजकपूर की फिल्म में मिला पहला मौका
साधना ने महज 14 साल की उम्र में अपने एक्टिंग कॅरियर की शुरुआत थी। उनकी डेब्यू फिल्म 1955 में आई फिल्म ‘श्री 420’ थी। इस फिल्म में राजकपूर बतौर लीड रोल में थे। इस फिल्म के बाद उनकी कई फिल्में आई। मगर 1960 में आई ‘लव इन शिमला’ उनके फिल्मी कॅरियर में मील का पत्थर साबित हुई। दमदार एक्टिंग के चलते फिल्म सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद साधना ने कई फिल्मों में काम किया जिनमें ‘हम दोनों’, ‘परख’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’, ‘आरजू’, ‘वो कौन थी’, ‘मेरा साया’, ‘राजकुमार’, ‘वक्त’, ‘मेरे महबूब’, ‘एक फूल दो माली’ जैसी फिल्मों में काम किया। साधना अपनी खूबसूरती और दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज किया।
16 साल की उम्र मे रचाई शादी
जहां एक तरफ साधना हिंदी सिनेमा में अपनी धाक जमा रही थी वहीं दूसरी तरफ बिना शोहरत की परवाह किए साधना ने 16 साल की उम्र में शादी कर ली। फिल्म ‘लव इन शिमला’ के सेट पर साधना की मुलाकात निर्देशक राम कृष्ण नय्यर से हुई। साल 1966 में साधना ने ‘लव इन शिमला’ के निर्देशक राम कृष्ण नय्यर के साथ शादी की। दिलचस्प बात ये है कि इस शादी से साधना के परिवार वाले तैयार नहीं थे मगर राजकपूर की मदद से दोनों की शादी हो सकी।
आज भी मशहूर है साधना हेयरस्टाइल
साधना ना सिर्फ अपनी फिल्मों को लेकर चर्चाओं में रही। बल्कि अपने स्टाइल स्टेटमेंट को लेकर भी। फिल्म ‘लव इन शिमला’ में पहली बार साधना को इस नए अवतार में देखा गया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म के निर्देशक आरके नय्यर ने ही साधना को ये हेयरस्टाइल अपनाने को कहा। ना सिर्फ ये फिल्मों में बल्कि आम लोगों के बीच भी बहुत पॉपुलर हुआ, जो आज के दौर की लड़कियों को भी बेहद पसंद है।
इस वजह से बनाई फिल्मों से दूरी
साल 1995 में नय्यर का निधन हो गया। जिसके बाद साधना अकेली रह गई। दोनों के कोई संतान नहीं थी। खबरों की मानें तो उस वक्त साधना ‘हाइपरथाईरॉडिज्म’ का शिकार हो गई थी। जिसकी वजह से उन्होंने फिल्मों को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उनकी आखिरी फिल्म ‘उल्फत की नई मंजिले’ थी। 25 दिसंबर 2015 को साधना ने हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली। आज वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं मगर अपनी सुपरहिट फिल्मों और दमदार अभिनय से वे हमेशा याद की जाएंगी।
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