Also Read

Meena Kumari : एक्ट्रेस ही नहीं शानदार शायरा भी थीं ट्रेजडी क्वीन, पढ़िए उनके चुनिंदा शेर और गजलें

Meena Kumari: हिन्दी सिनेमा की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार मीना कुमारी की 1 अगस्त को जयंती है। मीना कुमारी ने बच

Mgid

أرشيف المدونة الإلكترونية

بحث هذه المدونة الإلكترونية

إجمالي مرات مشاهدة الصفحة

103,301,526

आश्रम: पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

आश्रम: पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

<-- ADVERTISEMENT -->






ए एम कुणाल



अभिनेता बॉबी देओल ने पिछले शुक्रवार को “क्लास ऑफ 83” और इस हफ़्ते “आश्रम” वेब सीरीज के साथ दमदार वापसी की है। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित इस वेब सीरीज में धर्म की आड़ में चलने वाले गोरखधंधों की परतें खोलने की कोशिश की गई है। बॉबी देओल का का किरदार बाबा राम रहीम और उन जैसे पाखंडी बाबाओं की करतूतें याद दिलाता हैँ । हालाँकि किसी तरह के विवाद से बचने के लिए निर्देशक प्रकाश झा आश्रम की कहानी को पूरी तरह से काल्पनिक बता रहे है।

आस्था के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेलते हुए बाबा राम रहीम ने जिस तरह से पाप की दुनिया खड़ी की थी और रसूखदार लोगों को अपनी उंगलियों पर नचा कर हरियाणा के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बन गए थे, प्रकाश झा का काल्पनिक बाबा भी उसी राह पर चलता नज़र आता है। मोक्ष के नाम पर छल, नारी उद्धार के नाम पर शोषण, अस्पतालों और शिक्षा की आड़ में गोरखधंधा, ये सब बाबा निराला (बॉबी देओल) का चाल, चरित्र और चेहरा है। अब बाबा निराला का चरित्र किसके जैसा दिखता है, ये आप एमएक्स प्लेयर पर खुद देख सकते है। प्रकाश झा ने ऐसे कई सवाल है, जिसका जवाब दर्शकों पर छोड़ दिया है। वैसे एक बात समझ में नहीं आई कि प्रकाश झा ने आश्रम को एमएक्स प्लेयर की बजाय नेटफ्लिक्स या अमेजन प्राइम जैसे बड़े प्लैटफॉर्म पर रिलीज क्यों नहीं किया?
फ़िल्म “गंगाजल’ जैसी कसी हुई स्क्रिप्‍ट के साथ फिल्‍में बनाने वाले प्रकाश झा ने “आश्रम को लम्बा खींच दिया है। माना कि वेब सीरीज़ टेस्ट मैच की तरह होती है पर “आश्रम” तो डॉन ब्रेडमेन के जमाने का टेस्ट मैच लग रहा है। उस जमाने में पाँच दिन का नियम निर्धारित नहीं था। जब तक दोनों इनिंग ख़त्म न हो जाए, टेस्ट मैच चलता रहता था। कुछ उसी अंदाज़ में ”आश्रम” को सोप ओपरा बना दिया है। लगता है कि 9 एपिसोड बाबा निराला के कारनामों के लिए छोटा पड़ गया, इसलिए आश्रम पार्ट-2 बनाना पड़ा। आश्रम फ़र्स्ट सीज़न की कहानी फ्लैशबैक में ही ख़त्म हो जाती है।
“आश्रम” की कहानी परमिंदर उर्फ़ पम्मी (अदिति पोहानकर) के आश्रम का होस्टल छोड़ कर भागने से शुरू होती है। उसके बाद फ्लैश बैक में कुश्ती मैच दिखाया जाता है, जहाँ दलित होने के कारण पम्मी के साथ भेदभाव होता है और ऊंची जाति की लड़की को विजेता घोषित कर दिया जाता है। उस ग़म से पम्मी अभी उबर भी नहीं पाई होती कि चचेरे भाई की शादी में घोड़ी चढ़ने को लेकर मुहल्ले के ऊंची जाति के लोग भड़क जाते है। दूल्हे के साथ-साथ बरातियों की भी बुरी तरह से पिटाई हो जाती हैँ। उस झड़प में पम्मी का भाई सत्ती (तुषार पांडे) घायल हो जाता है। पम्मी अपने भाई के दोस्त लोकल टीवी रिपोर्टर अक्की (राजीव सिद्धार्थ) के साथ मदद के लिए पुलिस ऑफिसर उजागर सिंह (दर्शन कुमार) के पास जाती है। जब उसके गॉव के दबंग लोगों को पता चलता है तो वे भड़क जाते है और जिस अस्पताल में पम्मी के भाई सत्ती को इलाज हो रहा होता हैँ, वहाँ ऊंची जाति के लोग हमला कर डॉक्टरों को बंधक बना लेते हैं। इसके बाद दलितों के मसीहा काशीपुर वाले बाबा निराला (बॉबी देओल) की एंट्री होती है। बाबा के राइट हैंड भोपा स्वामी (चंदन रॉय सान्याल) और बॉडीगार्ड माइकल (जहांगीर खान) के सामने ऊंची जाति के दबंग लोगों की एक नहीं चलती है। दबंग लोगों के मुहल्ले को ख़ाली कराने का नोटिस देकर बाबा निराला उन्हें झुकने पर मजबूर कर देता है। इस घटना के बाद बाबा निराला से प्रभावित होकर पम्मी साध्वी बनने का फ़ैसला कर लेती है पर बाबा निराला उसे आश्रम के हॉस्टल में रहकर कुश्ती जारी रखने की सलाह देता है। पम्मी के भाई सत्ती को भी आश्रम में नौकरी मिल जाती है।
दलितों के मसीहा के रूप में बाबा निराला की बढ़ती लोकप्रियता को कैश कराने के लिए राज्य के सीएम सुंदर लाल (अनिल रस्तोगी) दोस्ती का हाथ बढ़ाते है। बाबा निराला दो घोड़ों के सवारी की कहावत को चरितार्थ करते हुए सीएम और पूर्व सीएम हुकुम सिंह (सचिन श्रॉफ) दोनों को लॉलीपॉप देते रहते है। सीएम सुंदर लाल नाराज होकर बाबा की जन्म कुंडली बनाने का काम पुलिस आइजी शर्मा को देता है पर वह खुद हनी टेप में फंसकर बाबा के आगे हथियार डाल देता है। सत्ता पर अपनी पकड़ का फायदा उठाकर बाबा निराला अपनी पाप की दुनिया को बढ़ाता जाता है। आश्रम में ड्रग्स का कारोबार भी फलने – फूलने लगता है। इसी बीच आश्रम से ग़ायब एक लड़की का नरकंकाल मिलने के बाद कहानी टर्न लेती है। ASI उजागर सिंह (दर्शन कुमार) और टीवी रिपोर्टर अक्की (राजीव सिद्धार्थ) केस की छानबीन में लग जाते है। जब भोपा स्वामी को पता चलता है तो वह ऊपर से दबाव डलवाकर केस बंद कराने की कोशिश करता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने की कोशिश की जाती है पर डॉक्टर नताशा कटारिया (अनुप्रिया गोयनका ) उनके आगे झुकती नहीं है। डॉक्टर नताशा के प्रभाव में आकार उजागर सिंह भी ईमानदारी से उस केस के पीछे पड़ जाता है। इस काम में उसका सहायक हवलदार साधु (विक्रम कोचर) और पत्रकार अक्की साथ देते हैं।

उधर बाबा निराला अपना साम्राज्य बढ़ाने और युवाओं को आकर्षित करने के लिए यूथ आइकन पॉप सिंगर टिंका सिंह (अध्ययन सुमन) को आश्रम में शो के लिए बुलाता है पर वह भोपा स्वामी को बेइज्जत कर देता है। उसके अगले ही दिन नारकोटिक्स विभाग वाले टिंका सिंह को पकड़ लेते है। खुद को बचाने के लिए वह बाबा के शरण में चला जाता है।
आख़िरी एपिसोड में बाबा का चरित्र खुल कर सामने आता है। वह अपने सेवादार की पत्नी तक को नहीं छोड़ता है। एक दिन सत्ती की पत्नी बबीता (त्रिधा चौधरी ) पर बाबा की नज़र पड़ती है। बबीता को अपने वश में करने के लिए वह एक चाल खेलता है। सत्ती को आत्मिक शुद्धिकरण के नाम पर नपुंसक बनाकर बबीता को अपने पास आने पर मजबूर कर देता है। इन सब से अनजान पम्मी अपने भगवान स्वरूप बाबा की भक्ति रस में डूबी रहती है। आश्रम सीज़न वन की कहानी फ्लैश बैक ही ख़त्म हो जाती है। पम्मी आश्रम छोड़कर कर क्यों भागी? पम्मी के साथ क्या होता है? उजागर सिंह का हाथ बाबा के गिरेबान तक पहुँच पाता है या नहीं? इसके लिए आपको आश्रम-2 का इंतज़ार करना पड़ेगा।

बॉबी देओल ने बाबा निराला के किरदार में जान डाल दी है। “क्लास ऑफ 83” का नायक “आश्रम” मे एक खलनायक की भूमिका में है। बॉबी अपनी नशीली आंखों और मंद-मंद मुस्कान से बड़े-बड़ों के होश उड़ा देते है। बॉबी का असली नेगेटिव रोल आश्रम के सीज़न टू में नज़र आएगा।
बॉबी के अलावा इस वेब सीरीज में सबसे अच्छा काम चंदन रॉय सान्याल का है। बाबा निराला के दाहिने हाथ भोपा स्वामी के रोल में वह पूरी सीरीज में छाए रहे है। पम्मी के किरदार में अदिति पोहानकर ने बेहद अच्छा काम किया है। सीज़न टू में उनका जलवा बरकरार रहेगा। इतने कलाकारों के बीच दर्शन कुमार अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। वहीं डॉक्टर नताशा के रूप में अनुप्रिया गोयनका का काम भी सराहनीय है। पम्मी के भाई के रूप में तुषार पांडे ने एक अंधभक्त का किरदार बखूबी से निभाया है। बबीता के रूप में त्रिधा चौधरी अपने छोटे से रोल में भी प्रभाव डालने में सफल रही है। टीवी रिपोर्टर अक्की के रूप में राजीव सिद्धार्थ ने छोटे शहरों के पत्रकारों की ज़िंदगी को अच्छे से पेश किया है। वही पॉप सिंगर के छोटे रोल में अध्ययन सुमन डिफरेंट नजर आए है। शायद प्रकाश झा ने आश्रम पार्ट-2 के लिए अध्ययन सुमन और त्रिधा चौधरी को स्टैन्ड बाई में रखा है।
रिंग मास्टर प्रकाश झा ने बॉबी देओल के अलावा बाक़ी कलाकारों पर भी पूरा भरोसा जताया है। छोटे से छोटे कलाकार से बेहतरीन काम करवाने में सफल रहे है। आश्रम की कहानी हबीब फैसल ने लिखा है। उनकी कलम पहले और आखिरी एपिसोड के अलावा दर्शकों को बांधे रख पाने असफल रही है। संवाद संजय मासूम ने लिखे हैं। संवाद इस वेब सीरीज़ की जान है। प्रकाश झा का बॉबी देओल पर भरोसा और बॉबी देओल का लीक से हटकर काम करने के फ़ैसले के कारण आश्रम एक बेहतरीन वेब सीरीज़ बनी है। दर्शकों को आश्रम सीज़न टू का इंतज़ार रहेगा।

कलाकार-बॉबी देओल, दर्शन कुमार, अनुप्रिया गोयनका, अदिति पोहानकर, चंदन रॉय सान्याल, त्रिधा चौधरी, तुषार पांडे, राजीव सिद्धार्थ, अध्ययन सुमन, जहांगीर खान, विक्रम कोचर, सचिन श्रॉफ, अनुरिता झा, रुपेश कुमार, परिणीता सेठ, तन्मय रंजना, प्रीति सूद और अनिल रस्तोगी।
निर्देशक: प्रकाश झा
ओटीटी: एमएक्स प्लेयर

🔽 CLICK HERE TO DOWNLOAD 👇 🔽

Download Movie





<-- ADVERTISEMENT -->

TV Celebs

TV Serials

No Related Post Found

Post A Comment:

0 comments:

Opt-in Icon
To Download Movies Click on Yes Button and Allow.
Movie देखने के लिए Yes बटन दबाएँ। You can unsubscribe anytime later.