1. आपने ‘तेरा यार हूं मैं’ में काम करना क्यों स्वीकार किया? आपको सोनी सब के साथ जुड़कर कैसा लग रहा है ?
शशि सुमित प्रोडक्शन्स के साथ मेरा काफी पुराना रिश्ता रहा है और उन्होंने हमेशा ही मेरी प्रतिभा को पहचाना है। इसके साथ ही ‘हम आपके घर में रहते हैं’ के बाद सोनी सब के साथ मेरा यह दूसरा शो है। एक ऐसे चैनल के साथ जुड़कर हमेशा अच्छा ही लगता है, जिसने पूरे परिवार को एकसाथ मनोरंजन देने का वादा किया है।
मैंने जब यह कहानी सुनी, जिसमें तीन पीढि़यों की कहानी दिखाई गई है और सभी पर एकसमान रूप से ध्यान देकर उनके नजरिये को बिना किसी पक्षपात के दिखाया गया है, तो मुझे यह कॉन्सेप्ट बहुत पसंद आया। आपको कभी-कभार ही ऐसी किसी कहानी का हिस्सा बनने का मौका मिल पाता है, जो दिल को छू लेने वाली होने के साथ ही कुछ अलग हटकर भी होती है।
2. अपने किरदार के बारे में हमें कुछ बतायें।
मैं दादाजी, प्रताप बंसल की भूमिका निभा रहा हूं, जो परिवार में पहली पीढ़ी से ताल्लुक रखता है और इस शो में दिखाई गई तीन पीढि़यों में सबसे पुराना है। वह बेहद पारंपरिक एवं अपनी बात पर दृढ़ रहने वाला इंसान है। उसका मानना है कि अपने फैसलों को लेकर उसे किसी को भी सफाई देने की जरूरत नहीं है और यदि उसे कुछ करना है, तो वह उसे करके ही रहेगा। मैं इस किरदार के साथ जुड़ाव महसूस कर सकता हूं, क्योंकि मेरे पिता भी बिल्कुल ऐसे ही थे। हर नई पीढ़ी को ऐसा लगता है कि वह पिछली पीढ़ी से बेहतर है। हालांकि, मेरा मानना है कि हर पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी को कमतर समझने के बजाय एक-दूसरे से सीखना चाहिये।
3. आपकी राय में, पैरेंट्स को उनके बच्चों का दोस्त बनना चाहिये या पैरेंट्स बनकर ही रहना चाहिये?
मुझे लगता है कि इसमें दोनों का बैलेंस होना चाहिये। इसमें लेन-देन जैसा सिस्टम होना चाहिये, जहां पर बच्चों को माता-पिता से और माता-पिता को अपने बच्चों से कुछ सीखना चाहिये। जब आपको अपने बच्चे को कुछ सिखाना हो, तो आपको पैरेंट की तरह व्यवहार करना चाहिये, लेकिन जब बात अपने बच्चों से कुछ सीखने की हो या उनके साथ कुछ शेयर करने की हो, तो आपको अपने बच्चे का दोस्त बनना चाहिये।
4. क्या आपने इस रोल के लिये कोई खास तैयारी की थी?
सच कहूं तो नहीं। मैं इस अनुभव से होकर गुजर चुका हूं, क्योंकि मैंने अपने पिता को प्रताप बंसल की तरह व्यवहार करते देखा है। हमारी कभी भी उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं हुई। यहां पर भी, मैं अपने निजी अनुभव को मेरे किरदार में शामिल कर रहा हूं।
हालांकि, ऐसी कई चीजें हैं जो मेरे पिता ने मुझे बहुत अच्छी तरह सिखाई है, जिसे मैंने अपने जीवन में निजी और पेशेवर दोनों में ही लागू किया है। उन्होंने मुझे सिखाया कि ” यदि आपके पास कार खरीदने की औकात नहीं है, तो उसकी जगह पर स्कूटर खरीदें।” उन्होंने सिखाया कि ऊपर चढ़ना आसान होता है, लेकिन जब आप गिरते हैं, तो आपके पास आमतौर पर कुछ भी नहीं होता है। इसलिये, यदि जिंदगी में आप अपनी जरूरतों को अपनी क्षमता से कम रखेंगे, तो खुश रहेंगे।
5. सेट का माहौल कैसा है? सभी के साथ शूटिंग करने का आपका अब तक का अनुभव कैसा रहा है?
चूंकि, हमने इस मुश्किल समय में शूटिंग शुरू की थी, इसलिये काफी अनिश्चितता थी और हर कोई काफी सावधान है। आमतौर पर इंडस्ट्री में, लोग जब मिलते हैं, तो एक-दूसरे को गले लगाते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से बदल गया है। लोग मास्क, पीपीई किट्स पहन रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, सैनिटाइज कर रहे हैं और सुरक्षा से जुड़े हर नियम का सख्ती से पालन करने के इच्छुक हैं।
हालांकि, हम सभी इसका लगातार पालन कर रहे हैं, लेकिन लोग अब एक-दूसरे के साथ थोड़ा सहज होने लगे हैं और सेट पर हम सभी का तालतेल काफी अच्छा है। यदि कोई सेट पर नहीं होता है, तो हमे एक-दूसरे की कमी खलती है। हम सभी एक-दूसरे के साथ इतने सहज हैं कि कोई भी किसी भी को-स्टार के पास जा सकता है और उसे कोई भी सुझाव दे सकता है। यह एक बड़े परिवार की तरह लगता है।
6. दर्शकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
मैं यही कहना चाहूंगा कि किसी भी पीढ़ी को पुराना ना मानें। हर किसी के पास अपने कुछ ‘मूल्य’ होते हैं, जो उन्होंने अपने समय में सीखे होते हैं। परिवार में सभी लोगों के बीच ‘लेन-देन’ का रिश्ता होना चाहिये, जहां पर हर कोई एक-दूसरे से कुछ सीख लेता हो। इस तरह हमें निश्चित रूप से नई चीजें सीखनी चाहिये और मेरा मानना है कि हमें हमारी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिये।
‘तेरा यार हूं मैं’ एक ऐसी खूबसूरत कहानी है, जिसमें हर चीज को बैलेंस किया गया है। मुझे पूरा भरोसा है कि दर्शक इसे पसंद करेंगे और उन्हें यह अपनी ही कहानी जैसी लगेगी।
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