नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका हमारे आज के इस लेख में आज हम आपको 70s और 80s के लीजेंड अभिनेता राजकुमार के बारे में बताने वाले हैं। हालांकि यह आज हमारे बीच उपलब्ध नही हैं लेकिन फिल्मों में इनके द्वारा बोले गए डॉयलोग आज भी दर्शको के दिलों को लुभा देते हैं। आज हम आपको इनके फिल्मों में बोले गए 7 सबसे बेस्ट डॉयलोग के बारे में बात करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
1. जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है। दोस्तो यह डॉयलोग फ़िल्म सौदागर का है।
2.जिसके दालान में चंदन का ताड़ होगा वहां तो सांपों का आना-जाना लगा ही रहेगा. दोस्तो यह डॉयलोग फ़िल्म बेताज बादशाह फ़िल्म का है जो साल 1994 में रिलीज़ हुई थी।
3. चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. यह 1965 की film वक्त का डॉयलोग है।
4. बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने. ये बद्तमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं. फ़िल्म बुलन्दी साल 1980 की।
5. जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा. सौदागर फ़िल्म डॉयलोग।
6. हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है. जिस रोज़ इस कुर्सी पर बैठकर हम इंसाफ नहीं कर सकेंगे, उस रोज़ हम इस कुर्सी को छोड़ देंगे. समझ गए चौधरी! फ़िल्म सूर्या साल 1989 की।
7. हम तुम्हे वो मौत देंगे जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी. फ़िल्म तिरंगा साल 1992 की।
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