हिंदी फिल्म जगत की मशहूर पार्श्व गायिका आशा भोसले सुरीली आवाज की कशिश से हर किसी को अपना दीवाना बनाया। आशा जी ने गायन की शुरुआत महज 10 साल की उम्र में वर्ष 1943 में की और छह दशक तक गाने गाए। वह 20 भाषाओं में 12 हजार से भी ज्यादा गाने चुकी हैं, इस दौरान उन्होंने एक हजार से ज्यादा फिल्मों में अपनी आवाज दीं। उन्हें प्यार से ‘आशा ताई’ के नाम से भी पुकारा जाता है। ऐसे में आज आशा भोसले के जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं उनकी ज़िंदगी की कहानी..
10 साल की उम्र में ही शुरू कर दिया था गाना
आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर, 1933 को महाराष्ट्र के सांगली गांव में हुआ था। वह स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध क्लासिकल सिंगर थे। आशा की आवाज में जितनी मिठास थी, उतनी ही मुश्किलों से भरा उनका जीवन रहा। नौ वर्ष की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया, जिससे परिवार की जिम्मेदारी बड़ी बहन लता पर आ गई। आशा ने महज 10 साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था। उनके कॅरियर का पहला गीत फिल्म ‘चुनरिया’ (1948) का गाना ‘सावन आया..’ था।
बड़ी बहन लता के सेक्रेटरी से भागकर की थी पहली शादी
आशा भोसले ने 16 वर्ष की उम्र में प्रेम विवाह किया था और इस निर्णय से उनके परिवार वाले खुश नहीं थे। जिस शख्स से उन्होंने शादी की थी वह लता मंगेशकर के पर्सनल सेक्रेटरी गणपत राव भोसले थे, जो उनका सारा कामकाज देखा करते थे। इस दौरान गणपतराव से आशा भोसले प्यार करने लगीं। शादी के समय गणपतराव की उम्र 31 साल थी और आशा से 16 साल बड़े थे। हालांकि, इन दोनों की शादी लंबे समय तक नहीं चल सकीं।
प्रेग्नेंसी के वक्त पति ने घर से निकाल दिया था
आशा भोसले को अपने निजी जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा था। आशा को गणपतराव के परिवार ने वालों ने भी स्वीकार नहीं किया था। अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की जाती थी। अंत में जब आशा तीसरी बार प्रेग्नेंट थी तो उनके पति ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। ससुराल से निकाले जाने के बाद वह अपने दो बच्चों हेमंत और वर्षा के साथ वापस अपने मायके आ गईं।
वर्ष 1960 में आशा अपने पति से अलग हो गई थी। इसके बाद वर्ष 1980 में उन्होंने राहुल देव बर्मन (RD Burman) से शादी कर ली। दोनों की यह दूसरी शादी थी। आर.डी. बर्मन ‘पंचम दा’ के नाम से जाने जाते हैं। इन दोनों की मुलाकात फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में गाने के दौरान हुई। पंचम दा अपनी पहली पत्नी रीता पटेल से तलाक ले चुके थे। वह रीता पटेल से इतना परेशान हो चुके थे कि घर छोड़कर होटल में रहने चले गए थे।
आशा ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने गाए
आशा भोसले ने अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में गीता बाली, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर जैसी बड़ी गायिकाओं के साथ गाने गाए। उनके लिए संगीतकार ओ.पी.नैय्यर के संगीत निर्देशन में बनी निर्माता-निर्देशक बी.आर. चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ बड़ी कामयाबी वाली रहीं। बाद में फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में उन्होंने आर.डी.बर्मन के संगीत में ‘आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा…’ गाने को अपनी सुरीली आवाज दीं। यह गाना सुपरहिट साबित हुआ। 60 और 70 के दशक में उन्होंने अदाकारा हेलन के लिए ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’, ‘पिया तू अब तो आजा’, ‘आओ ना गले लगा लो ना…’ और ‘ये मेरा दिल यार का दीवाना…’ जैसे हिट गाने गाए।
वहीं, फिल्म ‘उमराव जान’ ने उन्हें एक कैबरे सिंगर और पॉप सिंगर की छवि से बाहर निकाला। इस फिल्म के लिए आशा ने ‘दिल चीज क्या है…’ और ‘इन आंखो की मस्ती के…’ जैसी गजलें गाकर सुर्खियां बटोरी थीं। आशा ताई को इस फिल्म के लिए पहला ‘नेशनल अवॉर्ड’ मिला था।
कई बड़े सम्मानों से नवाज़ी जा चुकी हैं आशा ताई
आशा भोसले को पहली बार फिल्म ‘उमराव जान’ के गाने के लिए ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें बतौर पार्श्व गायिका 8 बार ‘फिल्म फेयर पुरस्कार’ मिल चुके हैं। उन्हें वर्ष 2001 में बॉलीवुड का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2008 में भारत सरकार ने आशा भोसले को भारतीय संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च अवॉर्ड ‘पद्म विभूषण’ से नवाज़ा। वर्ष 2011 में उनके नाम आधिकारिक तौर पर गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा गायन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा गाना गाने का रिकॉर्ड दर्ज़ हुआ।
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