Mgid

أرشيف المدونة الإلكترونية

بحث هذه المدونة الإلكترونية

إجمالي مرات مشاهدة الصفحة

यशराज फिल्म्स के 50 साल पूरे, आदित्य चोपड़ा ने पिता यश चोपड़ा को याद कर लिखा खास नोट

50 years of yash raj films aditya chopra writes a special note remembering his father yash chopra. यशराज फिल्म्स के 50 साल पूरे, आदित्य चोपड़ा ने पिता यश चोपड़ा को याद कर लिखा खास नोट

<-- ADVERTISEMENT -->









प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा का आज 88वां जन्मदिन है। उनका जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था। यशराज फिल्म्स के प्रमुख आदित्य चोपड़ा ने अपने पिता स्वर्गीय यश चोपड़ा की जयंती पर एक नोट शेयर किया और अपने प्रोडक्शन हाउस की 50 साल की यात्रा को याद किया। यश चोपड़ा ने इसी दिन वर्ष 1970 में अपने प्रोडक्शन हाउस ‘यशराज फिल्‍म्‍स’ की स्थापना की थी। आज (रविवार) ‘यशराज फिल्‍म्‍स’ के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर आदित्य चोपड़ा ने पिता को याद करते हुए सोशल मीडिया पर भावुक नोट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने प्रोडक्शन हाउस की 50 साल की यात्रा से जुड़ी कहानी को बताया है।
यशराज फिल्म्स ने ट्विटर पर आदित्य चोपड़ा के नोट को शेयर कर लिखा-‘फिल्मों का जश्न मनाते 50 साल, आपको मनोरंजित करते 50 साल। इस अवसर पर आदित्य चोपड़ा के दिल से निकले कुछ भावपूर्ण शब्द।’ साथ ही हैशटैग वाईआरएफ50 लगाया।

आदित्य चोपड़ा ने लिखा-‘1970 में, मेरे पिता यश चोपड़ा ने अपने भाई श्री बीआर चोपड़ा की छत्र-छाया की सुरक्षा को त्याग कर अपनी खुद की कंपनी बनाई। उस समय तक वे बीआर फिल्म्स के केवल एक मुलाजिम थे और उनके पास अपना कोई सरमाया नहीं था। वे नहीं जानते थे कि एक कारोबार कैसे चलाया जाया है। उन्हें इस बात की भी खबर नहीं थी कि एक कंपनी को चलाने के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ती है। उस समय यदि उनके पास कुछ था, तो अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत पर दृढ़ विश्वास और आत्म-निर्भर बनने का एक ख्वाब। एक रचनात्मक व्यक्ति के उसी संकल्प ने यशराज फिल्म्स को जन्म दिया। राजकमल स्टूडियो के मालिक श्री वी. शांताराम ने उन्हें उनके दफ्तर के लिए अपने स्टूडियो में एक छोटा सा कमरा दे दिया। तब मेरे पिताजी को यह नहीं मालूम था कि उस छोटे से कमरे में शुरू की गई वह छोटी सी कंपनी एक दिन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी फिल्म कंपनी बन जाएगी।


1995 में, जब यशराज फिल्म्स (YRF) ने अपने 25वें वर्ष में कदम रखा, तो मेरी पहली फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ रिलीज हुई। उस फिल्म की ऐतिहासिक सफलता ने मेरे अंदर वो आत्म-विश्वास जगाया कि मैं जुनून से भरे अपने उन आइडियाज को परवाज दूं जो मैंने YRF के भविष्य के लिए सोच रखे थे। मेरे प्रति मेरे पिता के असीम प्यार के अलावा, मेरी फिल्म की चमत्कारिक सफलता के कारण अब उन्हें मेरे विचारों पर भी बहुत विश्वास था।मैंने अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेट स्टूडियोज के भारत आने और हमारे कारोबार पर कब्जा जमा लेने की बात को पहले ही भांप लिया था। मैं चाहता था कि हम उनके आने से पहले ही एक ऐसा निश्चित स्केल प्राप्त कर लें जिसकी सहायता से अपनी स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके। मेरे पिता ने अपनी पारंपरिक मानसिकता के विपरीत बड़ी बहादुरी से मेरी सभी साहसिक पहलों की सराहना की। और 10 वर्ष की एक बेहद छोटी अवधि में, हम एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस से भारत के पहले पूरी तरह से एकीकृत स्वतंत्र फिल्म स्टूडियो बन गए।
पिछले 5 दशकों के दौरान, YRF मूल रूप से एक ऐसी कंपनी रही है जिसकी जड़ें पारंपरिक मूल्यों में निहित हैं और उसका व्यापारिक दृष्टिकोण शुद्धतावादी है। लेकिन इसके साथ ही यह भविष्य की ओर देखने वाली एक ऐसी दिलेर कंपनी भी है, जो वर्तमान समय की प्रचलित टेक्नॉलोजी और इनोवेशन्स को अपनाने के लिए लगातार प्रयास करती रहती है। परंपरा और आधुनिकता का यह सही संतुलन यशराज फिल्म्स को सही मायनों में परिभाषित करता है।


आज, यशराज फिल्म्स 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इसलिए, इस नोट को लिखते समय, मैं यह जानने का प्रयास कर रहा हूं कि आखिर इन 50 वर्षों की कामयाबी का राज क्या है? क्या यह यश चोपड़ा की रचनात्मक प्रतिभा है? क्या यह उनके 25 साल के जिद्दी बेटे का साहसिक विजन है? या ऐसा बस किस्मत से हो गया है? इनमें से कोई भी कारण नहीं है। इस कामयाबी का कारण हैं… लोग। वो लोग जिन्होंने पिछले 50 वर्षों में YRF की हर फिल्म में काम किया। मेरे पिताजी एक शायर की कुछ पंक्तियों से अपने सफर का वर्णन किया करते थे… मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर… लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। मुझे इस बात को पूरी तरह समझने में 25 साल लग गए। YRF 50 का राज ‘लोग’ हैं..
वो कलाकार जिन्होंनें अपनी रूह निचोड़ कर किरदारों में जान डाली। वो डायरेक्टर्स जिन्होंने अपनी फिल्मों को परफेक्शन दी। वो लेखक जिन्होंने यादगार कहानियां लिखीं। वो संगीतकार और गीतकार जिन्होंने हमें ऐसे गीत दिए जो हमारे जीवन का हिस्सा बन गए। वो सिनेमेटोग्राफर्स और प्रोडक्शन डिजाइनर्स जिन्होंने हमारे दिमागों पर कभी न मिटने वाले दृश्य छोड़े। वो कॉस्ट्यूम डिजाइनर्स, मेक-अप और हेयर स्टाइलिस्ट्स जिन्होंने साधारण दिखने वालों को भी हसीन बना दिया। वो कोरियोग्राफर्स, जिन्होनें हमें ऐसे डांस स्टेप्स दिए जो हमारे सभी समारोहों का हिस्सा हैं। वो स्पॉट-ब्वायज, लाइटमैन, सेटिंग वर्कर्स, ड्रेसमैन, जूनियर आर्टिस्ट, स्टंटमैन, डांसर्स और क्रू का हर सदस्य जिसने हमारी सभी फिल्मों के लिए अपना खून और पसीना बहाया। वो सीनियर एक्जेक्टिव्ज और YRF के वो सभी कर्मचारी जिन्होंने किसी व्यक्तिगत नामवरी या शोहरत की ख्वाहिश के बिना अथक मेहनत की। और अंत में, दर्शक, जिन्होंने हमारी फिल्मों को अपना प्यार और विश्वास दिया। ये लोग हमारी 50 साल की सफलता का राज हैं। मैं YRF के हर कलाकार, वर्कर, कर्मचारी और दर्शक के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं। मैं ये 50 वर्ष आप सभी को समर्पित करता हूं। आप हैं, तो YRF है।


लेकिन इन कलाकारों और वर्कर्स ने केवल YRF को ही नहीं, बल्कि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को बनाया है। यह केवल YRF की नहीं, बल्कि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सफलता है, जिसने अपनी मेहनत से सफल होने का ख्वाब देखने वाले एक व्यक्ति को दुनिया का एक आत्म-निर्भर और सही अर्थों में स्वतंत्र स्टूडियो बनाने का प्लेटफॉर्म दिया। यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जो हर कलाकार और वर्कर को अपने और अपने परिवार का जीवन संवारने का समान अवसर देती है। कलाकारों, वर्कर्स और कर्मचारियों के अपने संपूर्ण YRF परिवार की ओर से, YRF को इस महान विरासत का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करने के लिए, मैं भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का शुक्रिया अदा करता हूं। यह वो इंडस्ट्री है जहां मेरी मुलाकात इंतेहाई शानदार, प्रतिभाशाली और खूबसूरत लोगों से हुई। यह वो इंडस्ट्री है जिसका मैं हर जन्म में हिस्सा बनना चाहूंगा… चाहे किसी भी रूप में बनूं। -आदित्य चोपड़ा, 27 सितंबर, 2020।


यश चोपड़ा हिंदी दर्शकों को रोमांस की अलग और नई परिभाषा सिखाने वाले निर्देशक थे। यश चोपड़ा ने 1959 से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने सबसे पहले फिल्म ‘धूल का फूल’ बनाई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। फिल्मफेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। बतौर निर्देशक यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म जब तक है जान थी। यह फिल्म 13 नवंबर 2012 को सिनेमाघरों में लगी थी। इस फिल्म के रिलीज से कुछ दिन पहले 21 अक्टूबर 2012 को यश चोपड़ा का डेंगू के चलते निधन हो गया था।

🔽 CLICK HERE TO DOWNLOAD 👇 🔽

Download Movie





<-- ADVERTISEMENT -->

Post A Comment:

0 comments: