एक इंटरव्यू में भारती ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि जब वह 2 साल की थी तभी उनके पिता उनको छोड़कर चले गए. भारती घर में सबसे छोटी थी. गरीबी की वजह से उन्हें बचपन से काम करना पड़ा. उनकी मां दूसरों के घर खाना बनाने जाती थी. भारती कहती हैं कि मेरे जैसा बचपन कभी किसी को ना मिले.
भारती भले ही आज कितनी भी सफल क्यों ना हो गई हों. लेकिन वह अपनी जिंदगी के संघर्ष को अभी तक नहीं भूली हैं. एक इंटरव्यू में भारती ने कहा था कि जिस तरह सोना भट्टी में पकता है, उसी तरह मैं भी गरीबी की भट्टी में पकी हूं. भारती ने अपने इंटरव्यू में यह भी कहा था कि जब मेरी मां दूसरों के घर खाना बनाने जाती थी तो कभी-कभी मैं भी उनके साथ जाती थी.
भारती ने बताया कि मैं जब उनके घर में किचन और उसमें रखा सामान देखती थी तो सोचती थी कि काश यह सब मेरा भी हो पाए. आज हालात बदल गए हैं. मेरा घर उससे भी बहुत अच्छा बन गया है. भारती अपनी कामयाबी का श्रेय हमेशा अपनी मां को देती हैं. भारती हमेशा कहती हैं कि मेरी मां ने मुझे हमेशा यही सिखाया की मेहनत करना कभी मत छोड़ना. मैंने अपनी मां की बात मानी और आज मेरी मेहनत रंग लाई.
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