अपने जमाने के मशहूर अभिनेता शशि कपूर ने अपने करियर में कई अवार्ड्स अपने नाम किये है। तीन-तीन बार नेशनल अवार्ड, दो बार फिल्मफेयर अवार्ड, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के अवार्ड लिए है। एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर कुल चार फिल्मों में काम करने बाद शशि कपूर ने थिएटर में काम करना शुरू किया। वहां जेनिफर केंडल नामक एक विदेशी लड़की से प्यार हुआ, फिर शादी हुई।
'इंडिया टुडे' को दिए एक इंटरव्यू के दौरान शशि कपूर ने बता था शादी के समय उनकी उम्र महज २० साल की थी। शादी हो गयी, तो परिवार चलाने के लिए उन्होंने फिल्म लाइन में काम करने की सोची। शुरुवात में कुछ फिल्मों जैसे 'पोस्ट बॉक्स - ९९९', 'दूल्हा-दुल्हन' और 'श्रीमान सत्यवादी' के लिए उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया।
फिर साल १९६१ में फिल्म 'धर्मपुत्र' से उन्होंने मुख्य अभिनेता के तौर पर पहली फिल्म की। इसके बाद कुल ११६ फ़िल्में की जिसमें से ६१ फ़िल्में सोलो और ५५ फ़िल्में मल्टी स्टारर थी। करियर के शुरुवात में एक चाइल्ड आर्टिस्ट की एक्टिंग और एक मुख्य अभिनेता की एक्टिंग के फर्क को शशि कपूर सीख रहे थे। थिएटर कर रहे थे।
इसी दौरान शशि कपूर की पीठ में एक फोड़ा हो गया, जिसकी वजह से घाव बना जो बहुत दर्द करने लगा। परेशानी इतनी बढ़ गयी कि अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जब अस्पताल से घर वापस आये तो घाव भरने के बावजूद दर्द ने उनका साथ नहीं छोड़ा था। ऐसे में एक रात शशि कपूर दर्द से बहुत तड़प रहे थे।
दर्द में तड़प रहे अपने बेटे की आवाज से बगल के कमरे में सो रहे इनके पिता पृथ्वीराज को नींद से जगा दिया। पिता भागते हुए अपने बेटे के कमरे में पहुंचे। जितनी तेजी से वो कमरे में घुसे थे, उतनी ही तेजी से बाहर भी निकल गए। कुछ ही देर में जब वो वापस आये तो उनके हाथ में एक शीशा था।
मशहूर वेबसाइट 'द लल्लनटॉप' के मुताबिक दर्द से तड़प रहे शशि कपूर भी आश्चर्य से अपने पिता को देखने लगे। कुछ समझ पाते इससे पहले ही पिता ने उनसे कहा कि 'दर्द तो आएगा और जाएगा, मगर अभी इस दर्द को एक अवसर की तरह लो। देखो तुम्हारे चेहरे पर इस दर्द के चलते क्या भाव आ रहे है, जा रहे है। इन्हें अपने दिमाग में बिठा लो। बाद में ये एक्सप्रेशंस ही होंगे जिनके चलते तुम अच्छे एक्टर से लीजेंड एक्टर बनने की ओर बढ़ोगे।'
इस घटना के कुछ सालों बाद साल १९७९ उनकी 'सुहाग' फिल्म आयी, जिसमें उन्होंने एक अंधे का किरदार निभाया था। इस फिल्म में जब उनके किरदार की आंखें चली जाती है, तब उस सीन को करने के दौरान उनके लिए इस शीशे वाली घटना ही काम में आयी थी।
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