मशहूर अभिनेत्री नंदा की अदाकारी और खूबसूरती का हर कोई दीवाना हुआ करता था. उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनाई. नंदा ने जब जब फूल खिले, गुमनाम, प्रेम रोग जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया. लेकिन फिल्मों में उनकी एंट्री का किस्सा बहुत ही दिलचस्प है. एक दिन जब वह स्कूल से लौटी तो उनके पिता ने कहा कि कल तैयार रहना. फिल्म के लिए तुम्हारी शूटिंग है. तुम्हें इसके लिए बाल काटने होंगे.
नंदा के पिता मराठी फिल्मों के मशहूर अभिनेता और निर्देशक थे. बाल कटने की बात सुन नंदा नाराज हो गई और बोली मुझे शूटिंग नहीं करनी है. मां के समझाने पर वो शूटिंग के लिए राजी हुई. उस समय वह केवल 5 साल की थी. इसके बाद नंदा के बाल लड़कों की तरह छोटे-छोटे कर कर दिए गए. फिल्म का नाम मंदिर था जिसके निर्देशक उनके पिता थे. लेकिन फिल्म पूरी होने से पहले ही नंदा के पिता की मौत हो गई और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई.
इस वजह से नंदा ने मजबूरी में फिल्मों में काम करने का निर्णय किया. नंदा महज 10 साल की उम्र में हीरोइन बन गई. नंदा को फिल्म देवता के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके बाद नंदा ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया और वह देखते ही देखते बहुत कामयाब हो गई. लेकिन जब नंदा की फिल्में लगातार फ्लॉप होती गईं तो उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली.
नंदा डायरेक्टर मनमोहन देसाई से बहुत प्यार करती थी. लेकिन वह कभी अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाई और उनकी शादी हो गई. लेकिन मनमोहन देसाई की पत्नी की मौत हो गई तो फिर नंदा ने मनमोहन देसाई से सगाई कर ली. हालांकि सगाई के 2 साल बाद मनमोहन देसाई की मौत हो गई और नंदा जीवन भर कुंवारी रही और 2014 में उनका हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया.
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