गुलशन कुमार के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे. वह एक बहुत ही अच्छे इंसान थे. गुलशन कुमार के पिता चंद्रभान कुमार जूस की दुकान चलाते थे और गुलशन कुमार उनके साथ बैठा करते थे. धीरे-धीरे उन्होंने ऑडियो कैसेट व टेप रिकॉर्डर बेचने का काम भी शुरू कर दिया. इसी दौरान गुलशन कुमार को आईडिया आया कि क्यों ना वह म्यूजिक रिकॉर्ड करके खुद की कैसेट बनाएं.
जहां भजन और पूजा पाठ समारोह हुआ करते थे, गुलशन कुमार उसको रिकॉर्ड किया करते थे. उस समय मार्केट में यह कैसेट लगभग 30 रुपए में बिका करती थी. जबकि गुलशन कुमार केवल ₹10 में अपनी कैसेट बेचते थे. धीरे-धीरे उनको मुनाफा होने लगा और उन्होंने खुद का स्टूडियो बनवा लिया, जिसका नाम उन्होंने सुपर कैसेट इंडस्ट्री रखा. ऐसे धीरे-धीरे करके गुलशन कुमार का कैसेट बनाने का सिलसिला चलता रहा और वह कैसेट मार्केट में नंबर वन बन गए.
अब उन्होंने बॉलीवुड गानों की तरफ रुख किया और मुंबई आए. इसके बाद उन्होंने टी सीरीज का निर्माण किया. टी सीरीज ने फिल्मों को गाने देना शुरू किया. लेकिन उन दिनों इंडस्ट्री के लोग अंडरवर्ल्ड के दबाव में आकर काम करते थे. गुलशन कुमार को भी एक दिन फोन आया और उनसे पैसे मांगे गए. गुलशन कुमार ने पहली बार तो दबाव में आकर पैसे दे दिए, जो करोड़ों में थे.
इसके बाद गुलशन कुमार को अबू सलेम ने फोन करके धमकी दी कि अगर सलामती चाहते हो तो 10 करोड़ दे दो. गुलशन कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और उन्होंने पैसे भी नहीं दिए. इसके बाद अबू सलेम ने गुलशन कुमार को मंदिर के सामने गोली मार दी. उन्हें एक के बाद एक 16 गोलियां मारी गई और गुलशन कुमार इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए.
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