शत्रुघ्न सिन्हा का आज जन्मदिन है. बॉलीवुड में फिल्म साजन से अपने करियर की शुरुआत करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा के डायलॉग्स आज भी लोगों को याद है. उनके डायलॉग की चर्चा अक्सर होती रहती है. शत्रुघ्न सिन्हा के कुछ मशहूर डायलॉग आज भी लोगों के जुबान पर छाए हुए हैं.
फिल्म असली नकली का डायलॉग- आजकल जो जितना ज्यादा नमक खाता है, वह उतना ही ज्यादा नमक हरामी करता है, लोगों को बहुत ज्यादा अच्छा लगता है. इसके अलावा उन्होंने फिल्म जीने नहीं दूंगा मैं एक डायलॉग बोला था कि मैं तेरी इतनी बोटियां करूंगा कि आज गांव का कोई भी कुत्ता भूखा नहीं सोएगा.
फिल्म असली नकली का एक और डायलॉग लोगों को बहुत ज्यादा अच्छा लगा. पहली गलती मैं माफ कर देता हूं और दूसरी बर्दाश्त नहीं करता. वहीं फिल्म बेताज बादशाह का डायलॉग- जब दो शेर आमने सामने खड़े हो तो भेड़िए उनके आसपास नहीं भटकते, यह भी लोगों को बहुत पसंद आया था. आज भी लोग इस डायलॉग को बोलते हैं.
फिल्म विश्वनाथ में शत्रुघ्न सिन्हा का डायलॉग जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं, जिस राख से बारुद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं. लोगों को आज भी बहुत अच्छा लगता है. फिल्म नसीब जो 1981 में रिलीज हुई थी का एक डायलॉग- जिसके सिर पर तुझ जैसे दोस्त की दोस्ती का साया हो उसके लिए बनकर आई मौत उसके दुश्मनों की मौत बन जाती है, ने खूब धमाल मचाया था. इसके अलावा फिल्म हमसे ना टकराना का एक डायलॉग भी लोगों को आज तक याद है. यह डायलॉग था- अमीरों से गरीबों की हड्डियां तो चबाई जा सकती हैं, लेकिन उनके घर की रोटियां नहीं.
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