देव आनंद का हिंदी सिनेमा में योगदान बहुत ही सराहनीय है. 3 दिसंबर 2011 को उन्होंने अंतिम सांसें ली थी और उन्हीं के साथ हिंदी सिनेमा का एक सुनहरा युग खत्म हो गया. देव आनंद साहब को हिंदी सिनेमा में कभी नहीं भुलाया जा सकता. जब देव आनंद फिल्मों में काफी सफल थे तो लड़कियां उन पर मरती थी. उन्हें देखकर वह छत से कूद जाने के लिए भी तैयार रहती थी.
लेकिन देव आनंद का दिल सुरैया के लिए धड़कता था. इन दोनों की प्रेम कहानी फिल्म विद्या के सेट से शुरू हुई थी, जब शूटिंग के दौरान देव आनंद ने सुरैया की हादसे में जान बचाई थी. उस समय सुरैया बहुत बड़ी अभिनेत्री थी और देव आनंद अपना करियर शुरू कर रहे थे. लेकिन दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए.
देव आनंद ने अपनी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ में खुलासा किया कि फिल्मों में काम करते हुए उनकी दोस्ती सुरैया से हो गई और देखते ही देखते दोस्ती प्यार में बदल गई. एक भी दिन ऐसा नहीं जाता था, जब हम बात नहीं करते थे. मुझे जल्द ही समझ आ गया कि मैं सुरैया से प्यार करने लगा हूं. लेकिन यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई. सुरैया के घर में उनकी नानी की इजाजत के बिना कुछ भी नहीं होता था.
सुरैया मुस्लिम थी और देव आनंद हिंदू थे. देव आनंद ने बताया कि मैं सुरैया के लिए अंगूठी लेकर उनके पास गया. लेकिन उन्होंने मेरी अंगूठी समुद्र में फेंक दी. हालांकि मैंने इसका कारण कभी नहीं पूछा. इसके बाद दोनों की कभी मुलाकात नहीं हुई. सुरैया ने कभी शादी नहीं की. जबकि देव आनंद ने कल्पना कार्तिक से शादी कर ली. इन दोनों की शादी एक फिल्म की शूटिंग के दौरान लंच ब्रेक में हुई थी.
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