आदमी जितना अपने जीवन की परेशानियों से दुखी नहीं होता, उससे ज्यादा दुख उसे समाज द्वारा उसे देखने के नजरिए से होता है. आजकल व्यक्ति की पहचान उसके कौशल से नहीं, बल्कि उसके लुक को देखकर की जाती है. फिल्म बाला में इसी सोच की बाल की खाल उधेड़ी गई है.
आम आदमी को जोड़ती है यह कहानी
यह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति की कहानी पर आधारित है जिसके बाल भरी जवानी में ही झड़ रहे हैं. फिल्म में आयुष्मान खुराना बाल मुकुंद शुक्ला यानी बाला के किरदार में हैं. बचपन में उसके बाल लंबे, घने और काले थे, जो उसकी पहचान थे. लेकिन अब वह मजाक का पात्र बन चुका है. अगर उसके सिर पर टोपी ना हो तो कोई उसकी बात ही नहीं सुनता. इसी वजह से वह हीन भावना से ग्रसित हो जाता है.
अपने सिर पर बाल उगाने के लिए वह तरह-तरह के नुस्खे आजमाता है. हालांकि उसकी बचपन की क्लासमेट लतिका त्रिवेदी के साथ ऐसा नहीं होता. उसका रंग गहरा है, लेकिन फिर भी वह एक कॉन्फिडेंट लॉयर है. वह बाला से अपना रवैया बदलने के लिए कहती है. पर बाला जैसा का तैसा रहता है. किसी तरह बाला के जीवन में टिक टॉक मॉडल परी मिश्रा की एंट्री होती है. परी के लिए उसका लुक ही सब कुछ है.
शादी के बाद फिर कुछ ऐसा होता है कि बाला की जिंदगी फिर से उलझ जाती है. फिल्म में बाला का किरदार आयुष्मान खुराना ने निभाया है तो वहीं लतिका के किरदार में भूमि पेडणेकर है और परी का किरदार यामी गौतम ने निभाया है. तीनों ही कलाकारों ने अपना अपना काम बखूबी किया है. बाला अपने गंजेपन के लिए अपने पिता को जिम्मेदार ठहराता है. जींस को दोषी ठहराता है. लेकिन उसके पिता के पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं होता.
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