27 दिसंबर को सलमान अपना 53वां जन्मदिन मनाया। लेकिन आज हम सलमान नहीं बल्कि उनके दादा के बारे में बताने जा रहे है। सलमान के दादाजी अब्दुल राशिद खान इंदौर के DIG थे। इस बात का जिक्र जासिम खान की बुक बीइंग सलमान में किया गया है। बुक के अनुसार ये बात उन दिनों की है जब इंदौर एक राज्य हुआ करता था। बुक में लिखा है की साल सलमान के दादा ने साल 1915 में पुलिस सर्विस ज्वॉइन की थी। यहां उन्हें सीधे ही डीएसपी यानी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्ति मिली थी। लेकिन रिटायरमेंट तक वे डीआईजी बन चुके थे। गौरतलब है की आईजी के बाद डीआईजी पुलिस विभाग की दूसरी सबसे बड़ी पोस्ट होती है। सलमान के दादा दबंग अंदाज में लाइफ जीते थे। सलमान के दादा अब्दुल राशिद खान की छवि काफी हद तक सलमान के दबंग फिल्म वाले किरदार से मिलती थी।
जानिए सलमान के दादा अब्दुल राशिद के बारे में विस्तार से -
पलासिया थाना, जहां अब्दुल राशिद ने पुलिस सेवा दी।
घर में बिजली तक नहीं थी
बुक में नईम खान के हवाले से लिखा गया है की उस दौर में सलमान के दादा के घर में डीआईजी जैसी कोई सुरक्षा या सुविधा नहीं थी। क्योंकि ना तो उनके घर में कोई ऑफिशियल नौकर था ना ही कोई अर्दली। घर के सारे काम घरवाले ही करते थे। ऐसे में सलमान के चाचा नईम खान को कभी महसूस नहीं होता था की उनके पिता एक बड़े अफसर है। यहां तक की उनके घर में बिजली भी नहीं थी। सलमान के दादा अकेले ही रहते थे और लालटेन से ही अपना काम चलाते थे। उन दिनों उनका मुख्य हथियार रिवॉल्वर नहीं बल्कि डंडा हुआ करता था।
कभी कभार ही पहनते थे यूनिफॉर्म
जासिम खान की बुक में लिखा गया है की सलमान के दादा अब्दुल राशिद कभी कभार ही अपनी यूनिफॉर्म पहनते थे। वे दबंग अंदाज में खुली जीप में घूमने के शौकीन थे। सबसे दिलचस्प बात ये है की उन्हें कोई साहब या सर कहकर सम्बोधित नहीं करता था। बल्कि ज्यादातर लोग सलमान के दादा अब्दुल राशिद को मियां कहकर ही बुलाते थे।
इंदौर में उस वक्त हुआ करते थे सिर्फ चार डीआईजी
ये वो दौर था जब पूरे इंदौर राज्य में महज 4 डीआईजी हुआ करते थे। ये चारों डीआईजी इंदौर के आईजी को रिपोर्टिंग करते थे। डीआईजी नॉन ब्रिटिश को मिलने वाली हाईएस्ट रैंक हुआ करती थी। सलमान के दादा अब्दुल राशिद आईजी बेसिल चुर्टोन को रिपोर्टिंग करते थे।
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